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कभी अगस्त्यमुनि के बच्छणस्यूं तो आइए, इंतजार कर रही है सुंदर नैना झील - rudraprayag naini lake

विकासखंड अगस्त्यमुनि के बच्छणस्यूं और धनपुर पट्टी को जोड़ने वाली नैना झील पर्यटन और एडवेंचर प्रेमियों को न्यौता दे रही है. लेकिन नैना झील के विकास के लिए प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

Naini Lake
नैनी झील

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Published : Aug 12, 2021, 1:49 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 2:18 PM IST

रुद्रप्रयाग:जनपद में तीर्थाटन और पर्यटन की अपार संभावनाओं के बावजूद राज्य सरकार और शासन-प्रशासन कोई ठोस पहल नहीं कर रहे हैं. इस कारण सैलानियों की नजरों से ऐसे सैकड़ों खूबसूरत पर्यटक स्थल दूर हैं जहां की सुंदरता देखकर कोई भी हैरान रह सकता है. विकासखंड अगस्त्यमुनि के बच्छणस्यूं और धनपुर पट्टी को जोड़ने वाली नैना झील पर्यटन और एडवेंचर को न्यौता दे रही है. प्रकृति की गोद में बुग्याल व छोटी पहाड़ियों के मध्य में झील का आकर्षण देखते ही बनता है.

बता दें कि, बच्छणस्यूं पट्टी के डुंगरा गांव से दो किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर नैना झील के दर्शन होते हैं. तीन तरफ से छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच में काफी बड़े क्षेत्र में फैले बुग्याल के बीच प्राकृतिक झील है. लगभग 20 मीटर लंबी व 10 मीटर चौड़ी इस झील में वर्षभर पानी रहता है. ग्रीष्मकाल में पानी कम हो जाता है, लेकिन इन दिनों झील लबालब भर रखी है. यहां से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के साक्षात दर्शन होते हैं. साथ ही जिला मुख्यालय पौड़ी का नजारा आंखों के सामने होता है.

यह क्षेत्र बच्छणस्यूं और धनपुर पट्टी के मध्य में स्थित है. इसे दोनों पट्टियों के आसपास के गांवों का धार्मिक स्थल भी माना जाता है. साथ ही यहां के गांवों के पालसी अपने मवेशियों को लेकर चौमास में यहां प्रवास करते हैं. वहीं, क्षेत्र में होने वाले सार्वजनिक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान नैना देवी की विशेष पूजा की जाती है.

लोक संस्कृति के जानकार व शिक्षाविद डाॅ. प्रकाश चमोली, वन पंचायत सरपंच भरत सिंह पटवाल, युवा अमित रावत आदि ने कहा कि नैना झील को प्रकृति ने स्वयं स्थापित किया है. झील में जैसे ही पानी सूखने की कगार पर पहुंच जाता है, बारिश होने लगती है. उन्होंने कहा कि सरकार और शासन-प्रशासन का ध्यान पर्यटन को बढ़ावा देने में नहीं है. क्षेत्र में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं, जिन्हें विकसित करने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे पर्यटन के क्षेत्र में ऐसे स्थल विकसित हो सकें.

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वहीं जिला पर्यटन एवं सहासिक खेल अधिकारी सुशील नौटियाल ने कहा कि नैना झील को पर्यटन, तीर्थाटन व एडवेंचर के रूप में विकसित करते हुए जिले के प्रमुख स्थलों में शामिल किया जाएगा. झील तक पहुंचने के लिए बच्छणस्यूं व धनपुर से दो अलग-अलग ट्रैकिंग रूट विकसित किए जाएंगे. ऐसे में जहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा.


मनरेगा में किया गया झील का संरक्षण:विकास विभाग की ओर से बीते वर्ष मनरेगा योजना में स्थानीय ग्रामीणों की मदद से नैला झील के संरक्षण का कार्य किया गया. साथ ही जंगली जानवर या अन्य कोई झील को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए गोलाई में चारों तरफ से दो फीट ऊंची व एक फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया है. झील के माध्यम से बरसाती पानी के संरक्षण के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. आने वाले समय में विभाग द्वारा झील का दायरा भी बढ़ाया जाएगा.

Last Updated : Aug 12, 2021, 2:18 PM IST

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