उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

उत्तरसू गांव में बगड़वाल नृत्य का समापन, ये है जीतू-भरणा की प्रेम गाथा - बगड्वाल नृत्य

जीतू बगड़वाल पूरे गढ़वाल में देवता के रूप पूजे जाते हैं. जीतू बगड़वाल अपनी प्रेम गाथा के लिए जाने जाते हैं. वहीं, उत्तरसू गांव में भी बगड़वाल नृत्य का आयोजन किया गया. जिसमें उनकी प्रेम गाथा को जागर और नृत्य के माध्यम से पेश किया गया.

bagdwal
बगड़वाल

By

Published : Apr 2, 2021, 5:24 PM IST

रुद्रप्रयागः उत्तराखंड की संस्कृति जितनी समृद्ध है, उतने ही मनमोहक यहां के लोकनृत्य-लोकगीत भी हैं. इनमें बगड़वाल नृत्य सदियों से गढ़वाल की धार्मिक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है. आज भी गढ़वाल के कई गांवों में बगड़वाल नृत्य का आयोजन किया जाता है. जिसमें जीतू बगड़वाल की प्रेम गाथा को जागर और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है.

तल्ला नागपुर क्षेत्र के उत्तरसू गांव में भी बगड़वाल नृत्य आयोजित किया गया. जिसका समापन प्रसाद वितरण के साथ हो गया है. इस दौरान देवता के रूप में पूजे जाने वाले जीतू बगड़वाल के जागरों के बीच ग्रामीणों ने खूब नृत्य किया. साथ ही जीतू बगड़वाल से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की. बगड़वाल नृत्य को देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहा. वहीं, बगड़वाल नृत्य कर रहे लोगों ने बताया कि सभी को पांरपरिक संस्कृति को बचाने का प्रयास करना चाहिए.

उत्तरसू गांव में बगड़वाल नृत्य.

ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड संस्कृति की पहचान घराट

ये है जीतू बगड़वाल की गाथा
मान्यता है कि आज से एक हजार साल पहले गढ़वाल रियासत के बगोड़ी गांव पर जीतू का आधिपत्य था. एक बार जीतू अपनी बहन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल गांव जाता है. जहां उसकी प्रेमिका भरणा भी रहती है. जीतू की बांसुरी की धुन में अपनी प्रेमिका के प्रेम गीत गाता रहता था. उसकी धुन पर मोहित होकर खैंट पर्वत पर रहने वाली वन आछरियां (परियां) वहां पहुंच जाती है और उसे अपने साथ ले जाना चाहती हैं. तब जीतू उन्हें वचन देता है कि धान की रोपाई के बाद वह स्वेच्छा से उनके साथ चलेगा.

अंत में वो दिन भी आया, जब रोपाई के दिन खेत में ही आछरियों ने जीतू के प्राण हर दिए. इसके बाद अदृश्य शक्ति के रूप में जीतू बगड़वाल अपने परिजनों की मदद करता रहा. राजा ने जीतू की शक्ति को भांपते हुए पूरे गढ़वाल में उसे देवता के रूप में पूजे जाने का आदेश दिया. तब से लेकर अब तक लोग अपनी परेशानियों को हरने, सुख-शांति और समृद्धि की कामना से इस आयोजन को बडे़ प्रेम के साथ अपने गावों में कराते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details