रुद्रप्रयाग: द्वादश ज्योतिर्लिंग में अग्रणी व पर्वतराज हिमालय की गोद में बसे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली (Baba Kedar Panchmukhi Utsav Doli) अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ (Omkareshwar Temple Ukhimath) से केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के लिए रवाना हो गयी है. भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के केदार रवाना होने पर विद्वान आचार्यों द्वारा वेद ऋचाओं, भक्तों के जयकारों, महिलाओं के धार्मिक भजनों, आर्मी बैंड व स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना रहा.
ओंकारेश्वर मंदिर से रवाना हुई बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली, 6 मई को खुलेंगे कपाट
वैदिक मंत्रोच्चार एवं धार्मिक परंपराओं के बीच आज सोमवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली (Baba Kedar Panchmukhi Utsav Doli) अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ (Omkareshwar Temple Ukhimath) से केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के लिए रवाना हुई. रविवार को पंच शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में स्थित भोले बाबा के रक्षक भैरवनाथ की विशेष पूजा-अर्चना एवं आरती संपन्न हुई थी.
भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के केदार रवाना होने पर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को अनेक प्रजाति के पुष्पों से भव्य रूप से सजाया गया था. इसके अलावा यहां पर विशाल भंडारे को आयोजन भी किया गया. केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंच गई. विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए डोली पांच मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी. 6 मई को प्रातः 6 बजकर 25 मिनट पर भगवान केदारनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे.
सोमवार को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में ब्रह्मा बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचांग पूजन के तहत अनेक पूजायें संपन्न कर भगवान केदारनाथ का आह्वान कर विश्व शान्ति व समृद्धि की कामना की. ठीक आठ बजे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली का विशेष श्रृंगार किया गया. ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण से आगामी 6 मई से शुरू होने वाली केदारनाथ यात्रा के निर्विघ्न संपन्न होने की कामना की. रावल भीमाशंकर लिंग ने केदारनाथ धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग को पगड़ी व अचकन पहनाकर 6 माह केदारनाथ धाम में विधि-विधान से पूजा-अर्चना और प्रवास करने का संकल्प दिया.