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शहर की नौकरी छोड़ गांव में शुरू किया पशुपालन, महीने में 50 हजार से ज्यादा की हो रही कमाई

उत्तराखंड में जहां एक ओर लोग रोजगार के लिए अपने गांव से पलायन कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं. वहीं, केदारघाटी के तीन लोगों ने शहरी इलाकों में नौकरी को छोड़कर गांव में ही पशुपालन को रोजगार का जरिया बनाया.

शहरों से नौकरी छोड़कर गांव लौट रहे लोग.

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Published : Oct 24, 2019, 10:09 AM IST

रुद्रप्रयाग: रोजगार को लेकर जहां युवा पीढ़ी शहरी क्षेत्रों की ओर रुख कर रही है, वहीं केदारघाटी के तीन लोगों ने शहरी इलाकों में नौकरी छोड़कर गांव में ही अपना रोजगार शुरू किया है. ये लोग उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं, जो अपने गांव से रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. केदारघाटी के इन लोगों ने पशुपालन व्यवसाय को रोजगार का मुख्य जरिया बनाया है. साथ ही इस व्यवसाय से महीने में 40 से 50 हजार रुपये कमा रहे हैं.

केदारघाटी के सौड़ी निवासी श्रीधर प्रसाद भट्ट ने पशुपालन का व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने अपने गौशाला में 5 से 6 गायों को पाल रखा है. महाराष्ट्र से 40 हजार की नौकरी को छोड़कर वे घर को लौटे तो उन्होंने पशुपालन को व्यवसाय से जोड़ने का मन बनाया. जब वे पहली गाय खरीदकर लाए तो ग्रामीणों ने उन पर खूब तंज कसे और दुग्ध व्यवसाय के न चलने की बात कही. लेकिन, आज अपने काम में सफलता हासिल कर वे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए. इन ग्रामीणों ने अपने डेरी उद्योग में रेड सिंधी, जर्सी हॉल्स्टीन, फ्रिसियन कॅटल नस्ल की गाय पाली हुई हैं, जो उनके लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं.

इसके साथ ही पशुपालक श्रीधर भट्ट ने गोबर गैस प्लांट भी लगाया है. साल में 2 महीने ही वे एलपीजी गैस का उपयोग करते हैं, जबकि बाकी 10 महीने गोबर गैस का उपयोग करते हैं. इसके वेस्टेज से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाता है, जो खेती के लिए उपयोगी है. उन्होंने बताया कि सरकार और पशुपालन विभाग की ओर से ग्रामीणों की हर सहायता की जा रही है. सब्सिडी में गाय मुहैया करवाई जा रही है और समय-समय पर चिकित्सकों की टीम को पशुपालकों के पास भेजा जा रहा है, जिससे मवेशियों का सही से उपचार हो रहा है.

शहरों से नौकरी छोड़कर गांव लौट रहे लोग.

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वहीं, केदारघाटी के गिंवाला गांव निवासी गोविंद सिंह भंडारी कुक्कुट और मत्स्य पालन का कार्य कर रहे हैं. लगभग 10 सालों से वो ये व्यवसाय कर रहे हैं. दिल्ली से नौकरी छोड़कर श्री भंडारी घर लौटे और पशुपालन का व्यवसाय करने की सोची. उन्होंने पहले इसका प्रशिक्षण लिया और फिर अपना रोजगार शुरू कर हजारों रुपये की कमाई करने लगे.

वहीं केदारघाटी के हाट गांव निवासी सुरेन्द्र प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि केदारघाटी में आपदा के बाद लोग पलायन को मजबूर हैं. सरकार की ओर से रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. ऐसे में पशुपालन का व्यवसाय शुरू किया गया है. बाहरी शहरों से गायों को लाकर उनके दुध का व्यवसाय किया जा रहा है.

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