रुद्रप्रयाग: दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल मिल ही जाती है. कोरोनाकाल में देश-विदेश से अपने गांवों की ओर लौटे कई हुनरमंद प्रवासी छोटे-छोटे उद्योग स्थापित कर रोजगार जुटा रहे हैं. बसुकेदार के क्यार्क गांव निवासी अनिल कुमार भी वर्षों से विभिन्न राज्यों में रहने के बाद कोरोनाकाल में घर लौट आए. यहां आने के बाद उन्होंने चप्पल बनाने का काम शुरू किया और आज अनिल हर महीने करीब 30 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं.
बता दें, रुद्रप्रयाग जनपद के बसुकेदार के क्यार्क गांव निवासी अनिल कुमार (Anil Kumar of Rudraprayag) कई वर्षों से अपने परिवार से दूर महाराष्ट्र में चप्पल बनाने की बड़ी कम्पनी में काम करते थे. इस कंपनी में अनिल 10 घंटे काम करते थे, लेकिन इस काम के बदले अनिल को सैलरी बहुत कम मिलती थी. उस सैलरी से उनका बमुश्किल से गुजर बसर चलता था. इसके बाद कोरोनाकाल में उनका काम छूट गया और वो घर लौट आए. घर लौट कर अनिल महीने तक घर में खाली बैठे रहे.
मंगतु परदेशी फिल्म से मिला आईडिया: कारोनाकाल में अनिल ने मंगतु परदेशी फिल्म देखी, जिसमें उन्होंने देखा कि मुम्बई से प्रवासी गांव आकर अपना स्वयं का रोजगार शुरू कर रहे हैं. देखते ही देखती कुछ ही वर्षों में अच्छी उन्नति करते हैं. अनिल ने बताया कि इस फिल्म को देखकर उनके मन में भी घर में ही रहकर कुछ करने का ख्याल आया. अनिल ने लोगों से कर्जा लेकर छोटी मशीन और रॉ-मटेरियल खरीदा. लोगों ने उनसे कम मूल्य पर चप्पलें खरीदे.