पिथौरागढ़:बेरीनाग में अंग्रेजी शासनकाल में बना डाक बंगला अब खंडहर में तब्दील हो गया है. 1901 में इस डाक बंगले को अंग्रेजों ने बनवाया था. वन विभाग के अधीन इस डाक बंगले में 2017 में आग लग गयी थी. तब से ये डाक बंगला जीर्ण-शीर्ण हालत में है. ये डाक बंगला कभी सैलानियों की पहली पसंद हुआ करता था. मगर विभागीय लापरवाही के चलते अब ये पूरी तरह वीरान पड़ा है.
121 साल पुराना डाक बंगला: बेरीनाग नगर से एक किमी की दूरी पर स्थित वन विभाग के डाक बंगले को 121 साल पहले अंग्रेजों ने बनाया था. दो कक्षों वाला ये डाक बंगला बेरीनाग बाजार के सबसे ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित है. जहां से हिमालय का विहंगम दृश्य नजर आता है. तानसेन वन विश्राम गृह के नाम से इस डाक बंगले को जाना जाता था. मगर 2017 में अज्ञात कारणों से इस डाक बंगले में आग लग गई थी. विभाग द्वारा उचित देखभाल नहीं होने के कारण यह क्षतिग्रस्त हो गया. यही नहीं वन विभाग की इस बेशकीमती संपत्ति पर भू-माफिया द्वारा कब्जा भी किया जा रहा है. शासन से इसकी मरम्मत के लिए धन का प्रस्ताव भेजा है. फिलहाल कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी.
आजादी के बाद बंगला बना वन्य जीव संरक्षण स्थल: वन विभाग के डिप्टी रेंजर गंगा सिंह बोरा का कहना है कि 1947 में आजादी के बाद से इस डाक बंगले को वन्य जीव संरक्षण के लिए उपयोग में लाया जा रहा था. साथ ही इसका रख-रखाव वन विभाग पिथौरागढ़ के स्तर से किया जा रहा था. 2017 में भवन में आग लगने के कारण भवन अब रहने योग्य नहीं रह गया है. साथ ही भवन पुनर्निर्माण के लिए प्रस्ताव उच्च स्तर को भेजा गया है. यही नहीं भूमि विवाद होने के कारण भवन से संबंधित प्रकरण न्यायालय में चल रहा है. न्यायालय का निर्णय आने के बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.
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वन विभाग पिथौरागढ़ की लापरवाहीः इस खंडहर होते डाक बंगले के पीछे वन विभाग की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. वन विभाग द्वारा इसकी ढंग से देख रेख नहीं की गई. साथ ही इसके लिए कोई ठोस प्रस्ताव व सुधार व्यवस्था न बनाने के कारण डाक बंगला अपनी बदहाल हालत में है. इसके साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा डाक बंगले की जमीन पर कब्जा करने के कारण ये खंडहर में तब्दील होता चला गया.