पिथौरागढ़:अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के अधिकार सुरक्षित करने के दावे भले ही हर मंच से किये जाते हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत से कोई बेखबर नहीं है. भारत में महिला अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में महिला अधिकारों के बिना महिला सशक्तिकरण की बातें इस दौर में बेइमानी सी लगती है. बात अगर उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ जिला महिला अस्पताल की करें तो ये महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है.
महिला दिवस विशेष: इस अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही मातृशक्ति, कई महिलाएं तोड़ चुकी हैं दम - women's day 2019
सीमांत जिले पिथौरागढ़ का सबसे बड़ा और एकमात्र जिला महिला अस्पताल कई बीमार और गर्भवती महिलाएं यहां इलाज के अभाव में दम तोड़ चुकी हैं. वहीं, नवजात शिशुओं की देखरेख में लापरवाही की वजह से कई मांओं की कोख सुनी हो चुकी है. पेश है ये खास रिपोर्ट.
सीमांत जिले पिथौरागढ़ का सबसे बड़ा और एकमात्र जिला महिला अस्पताल, जहां चंपावत और बागेश्वर जिले के साथ ही पड़ोसी मुल्क नेपाल की भी गर्भवती और बीमार महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. मगर ये अस्पताल खुद ही वेंटिलेटर में अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है. इस अस्पताल में जहां अधीक्षक का पद लंबे समय से खाली है वहीं रेडियोलोजिस्ट जैसा अहम पद अस्पताल में सृजित तक नहीं हुआ है. यही नहीं अस्पताल में अल्ट्रॉसाउंड मशीन भी सालों से खराब पड़ी है.
इलाज के अभाव में 95 नवजात तोड़ चुकें हैं दम
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, इस महिला अस्पताल में बीते तीन सालों में प्रसव के दौरान 95 नवजात दम तोड़ चुके हैं. वहीं, 6 गर्भवती महिलाओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण हफ्ते में सिर्फ एक दिन ही महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाया जाता है. अन्य दिनों में अस्पताल इलाज के लिए आने वाली गरीब महिलाओं को निजी क्लीनिकों की लूट का शिकार होना पड़ता है. वहीं, जिला महिला अस्पताल में सफाई की व्यवस्था ही नहीं है. शौचालय तो अस्पताल में ऐसे हैं कि स्वस्थ्य आदमी भी इनमें जाकर बीमार पड़ जाए.
सीमांत जनपद के एकमात्र बड़े अस्पताल में महिला मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन इस अस्पताल में डॉक्टर्स के मात्र 8 पद ही स्वीकृत हैं. इस वजह से मौजूद डॉक्टर्स को ही सभी पेसेंट्स देखने पड़ते हैं. लंबी कतारों की वजह से कई बार डॉक्टर न मिलने पर लोगों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. पिथौरागढ़ के इस अस्पताल की स्थिति देखकर महिला दिवस के दिन इनके अधिकारों की बड़ी-बड़ी बातों की कलई खुलती दिख रही है.