पिथौरागढ़: सीमांत जनपद पिथौरागढ़ का एकमात्र महिला अस्पताल लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से जूझ रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के चलते ये अस्पताल महज रेफर सेंटर बनकर रह गया है. हालात ये हैं कि पिथौरागढ़ से हायर सेंटर हल्द्वानी रेफर करने के दौरान गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.
पिथौरागढ़ के हरगोविंद पंत महिला चिकित्सालय में चंपावत जनपद के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल के मरीज भी काफी तादाद में आते हैं. लेकिन इस अस्पताल की बदहाली किसी से छुपी नहीं है. डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज घंटों लाइनों में खड़े हो होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. ऐसा ही हाल अस्पताल के वार्डों का भी है. अस्पताल में मरीज ज्यादा हो जाने पर भर्ती करने की कोई सुविधा नहीं है.
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ऐसे में मरीजों को नवजात बच्चों के साथ अस्पताल के बरामदे में ही भर्ती होना पड़ता है. महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन तो लगाई गई है. मगर ये मशीन महज शो पीस बनकर रह गयी है. आज तक यहां रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं की गई है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. इसके लिए पिथौरागढ़ के जनप्रतिनिधियों के साथ ही सरकार भी पूरी तरह जिम्मेदार है. इतना ही नहीं इस अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है.
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तीमारदारों का कहना है कि पानी नहीं होने से महिलाओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि सरकारी तंत्र को अस्पताल की बदहाली के बारे में जानकारी ना हो. पिथौरागढ़ के सीएमओ डॉ. हीरा सिंह ह्यांकी भी मानते हैं कि महिला अस्पताल में स्टाफ नहीं होने से लोगों को भारी परेशानियां उठानी पड़ती है. जिन्हें ठीक करने के प्रयास किये जा रहे हैं.