पिथौरागढ़ः उत्तराखंड राज्य को अस्तित्व को आये 18 साल हो गए हैं. आज भी कई गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेता जनता को रिझाने में लगे हैं. लेकिन मूलभूत सुविधाओं से वंचित सीमांत क्षेत्र धारचूला, मुनस्यारी, बंगापानी और डीडीहाट के करीब 14 गांव के लोगों ने इस बार चुनाव बहिष्कार का एलान किया है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान नेता तमाम घोषणाएं और वादे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनकी सुध नहीं ली जाती है.
चुनाव आते ही नेताओं को एक बार फिर जनता की याद आने लगी है. लुभावने वादों को लेकर नेताजी एक बार फिर जनता के बीच जा रहे हैं, लेकिन दशकों से मूलभूत सुविधाओं का अभाव झेल रही जनता नेताओं के झूठे वादों से परेशान हो चुकी है. आजादी के सात दशक बीत जाने के भी पिथौरागढ़ जिले के दर्जनों दूरस्थ गांवों में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. विकास से कोसों दूर होने के बावजूद सीमांत की जनता हर चुनावों में वोट डालकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करती है, लेकिन चुनाव के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि और सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है.
इसी को लेकर जिले के धारचूला तहसील के सुदूर दारमा क्षेत्र के रांथी, खेला, दर, उमचिया, बोलिंग, सोबला, सुआ, जम्कू, खेत और गलती गांव की 10 हजार से अधिक की आबादी ने सड़क और विभिन्न बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर चुनाव बहिष्कार का एलान किया है. उधर, बंगापानी तहसील के कनार और मेतली, मुनस्यारी तहसील के नामिक, साइपोलो, गांधीनगर, और क्विरिजिमिया, डीडीहाट के काणाधार गांव के लोगों ने भी वोट ना डालने की घोषणा की है.