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उत्तराखंड रोडवेज एंप्लाइज यूनियन का 2 दिवसीय धरना, निगम पर लगाए गंभीर आरोप

काशीपुर और पिथौरागढ़ में उत्तराखंड रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के संविदा कर्मचारियों ने 2 दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें पिछले कई महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.

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संविदा कर्मचारियों का दो दिवसीय धरना प्रदर्शन

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Published : Oct 23, 2020, 8:16 AM IST

काशीपुर/पिथौरागढ़: उधमसिंह नगर के काशीपुर में रोडवेज यूनियन से जुड़ी सदस्यों ने प्रांतीय आह्वान पर परिसर के भीतर अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 2 दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रोडवेज प्रशासन पर शासन के आदेशों की अवेहलना करने का आरोप लगाया. उधर पिथौरागढ़ में भी रोडवेज संविदा कर्मचारियों ने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 2 दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिला है जिससे उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

काशीपुर में रोडवेज यूनियन से जुड़े सदस्यों ने प्रांतीय आह्वान पर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन शुरू किया है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि निगम प्रशासन, शासन के आदेशों की लगातार अवेहलना कर रहा है, जिसे लेकर उनमें काफी रोष है. वहीं, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का कहना है कि उनको पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब तो दीपावली और भाईदूज जैसे कई मुख्य त्योहार आने वाले हैं, लेकिन निगम प्रबंधन उनको वेतन नहीं दे रहा है.

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वहीं, पिथौरागढ़ में उत्तराखंड रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के आह्वान पर संविदा कर्मचारियों ने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 2 दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एक तो उन्हें पिछले 7 महीनों से वेतन नही मिला है, वहीं दूसरी ओर निगम प्रबंधन ने उन्हें बाहर करने का निर्णय लिया है. कर्मचारियों का आरोप है कि शीर्ष अधिकारी उन्हें संविदा से हटा कर अन्य प्रदेशों के लोगों की भर्ती करना चाहते हैं. कर्मचारियों ने कहा कि सालों से वो रोडवेज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन सरकार ने उन्हें पर्मानेंट करने के बजाए 11 महीने के अनुबंध में काम करने का फरमान जारी कर दिया, जिसके विरोध में यूनियन ने हाईकोर्ट की शरण ली. वहीं, हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों को अप्रैल से अगस्त तक का वेतन देने के आदेश दिए. साथ ही अंतिम निर्णय आने तक अनुबंध करने पर भी रोक लगा दी. लेकिन प्रदेश सरकार, न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया.

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