पिथौरागढ़: भारत-चीन सीमा के करीब बसा दारमा घाटी का तिदांग गांव कभी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है. इस गांव में करीब 100 से ज्यादा परिवार रहते हैं, जिन पर हर समय मौत के बादल मंडराते रहते हैं. तिदांग गांव को एक तरफ से जहां धौली नदी अपनी चपेट में ले रही है तो वहीं गांव के दोनों ओर ग्लेशियरों से निकलने वाले नाले भी इसे अपनी जद में ले रहे हैं.
एक वक्त था, जब ये गांव नदी और नाले से करीब 80 फीट ऊंचा हुआ करता था, लेकिन हर साल नदी और ग्लेशियर के साथ आने वाले भारी मलबे से गांव धौली नदी के करीब पहुंच गया है. गांव को सुरक्षित करने के कई दावे तो नेताओं ने किए, लेकिन आज भी हालत जस का तस बने हुए है. तिदांग के पूर्व ग्राम प्रधान रमेश तितयाल बताते है कि गांव को बचाने के लिए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार भी भरोसा दिला चुके हैं, लेकिन सालों गुजरने पर भी हुआ कुछ नहीं हुआ.
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प्राकृतिक रूप से धनी है तिदांग गांव
करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित तिदांग गांव प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. गांव के चारों ओर हरे-भरे जंगल, नदियां और ग्लेशियर इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. गर्मियों के सीजन में यहां दूर-दराज से सैलानी खींचे चले आते हैं. पर्यटकों के ठहरने के लिए यहां होम स्टे की व्यवस्था भी है. सर्दियों के मौसम में ये इलाका 6 महीने तक बर्फ से पूरी तरह पटा रहता है. इस दौरान ग्रामीण निचले इलाकों में आ जाते हैं.