पिथौरागढ़: धारचूला में निवास करने वाली रं जाति ने अपनी विलुप्त हो रही प्राचीन रङ्गल्व भाषा को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. रं जाति की इस मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूब सराहा है. रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिथौरागढ़ के धारचूला में रहने वाली रं जाति समुदाय अपनी सदियों पुरानी भाषा को संरक्षित करने के प्रयास में जुटी है. ये खबर सुनकर उन्हें काफी संतोष हुआ. प्रधानमंत्री के इस संबोधन को सुनकर रंजन समुदाय के लोगों में खासा उत्साह बना हुआ है.
रंग भाषा को संरक्षित करने पर प्रधानमंत्री ने रं समुदाय की सराहना की. बता दें कि पिथौरागढ़ जिले के दारमा, व्यास और चौदांस घाटी में रहने वाले रं समुदाय के लोग रामायण और महाभारत काल से ही अपनी विशेष भाषा को बचाये हुए हैं. इस भाषा को स्थानीय लोग रंल्वो भी कहते हैं. बहरहाल, इस प्राचीन रङ्गल्व भाषा की कोई लिपि नहीं है. यह सिर्फ बोल-चाल के जरिए ही चलन में है.
रं समुदाय के लोग इस प्राचीन लोकभाषा को सोशल मीडिया के जरिये देवनागरी लिपि में संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. जिसके चलते ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप में भी लोग रंल्वो भाषा से रुबरु हो सकेंगे. वहीं, रं समुदाय के लोग लंबे समय से व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन भाषा से जोड़ रहे हैं. इन ग्रुपों के माध्यम से रं जाति छंदों, गीतों और कहानियों का प्रचार-प्रसार कर रही है.
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वहीं, रंल्वो भाषा की अपनी कोई लिपि ना होने के चलते इसके प्रयोग को लेकर दो मत सामने आ रहे हैं. जिसके चलते रं समुदाय के बुजुर्ग इसे देवनागरी लिपि में तैयार करने पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में इस समुदाव से जुड़े युवा इसे रोमन लिपि में संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में रं समुदाय की भाषा रंल्वो के बारे में चर्चा करने से समुदाय के लोग काफी खुश है और उन्हें इस भाषा के संरक्षण की एक नई उम्मीद दिखाई दे रही है.