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खराब मौसम भी नहीं तोड़ पाया था जांबाजों का हौसला, इस तरह से दिया गया ऑपरेशन 'डेयर डेविल' को अंजाम

नंदा देवी में विदेशी पर्वतारोहियों को सर्च और रेस्क्यू करने के लिए चलाया गया ऑपरेशन डेयर डेविल अब तक का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है. इस ऑपरेशन की कमान आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी और दो बार एवरेस्ट विजेता रतन सिंह सोनाल ने संभाली थी.

ऑपरेशन डेयर डेविल दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू अभियान

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Published : Jul 4, 2019, 1:05 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 2:30 PM IST

पिथौरागढ़: नंदा देवी क्षेत्र में चलाया गया ऑपरेशन डेयर डेविल तकनीकी रूप से अब तक का सबसे बड़ा सर्च एडं रेस्क्यू अभियान है. ऑपरेशन को सफल बनाने वाले आईटीबीपी और एयरफोर्स के जवानों का कहना है कि ये अभियान नामुमकिन को मुमकिन करने जैसा था. सर्च एंड रेस्क्यू टीम ने बताया कि पहले तो उन्हें लगा कि उनका अभियान सफल नहीं हो पायेगा. लेकिन कठिन परिस्थितियों के बावजूद टीम ने वो कर दिखाया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.

नंदा देवी ईस्ट अभियान के दौरान एवलांच के शिकार हुए 8 पर्वतारोहियों में से 7 के शवों को निकालने में आईटीबीपी और एयरफोर्स का संयुक्त ऑपरेशन सफल रहा. इस अभियान को सफल बनाने के लिए सर्च एंड रेस्क्यू टीम ने 15 हजार फीट से ज्यादा उंचाई पर वो कारनामा कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी.

ऑपरेशन डेयर डेविल दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू अभियान

डेयर डेविल अभियान की अगुवाई कर रहे आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी और दो बार एवरेस्ट विजेता रहे रतन सिंह सोनाल ने बताया कि बर्फ में दबे शवों को खोजना जितना मुश्किल था उससे भी ज्यादा कठिन था पर्वतारोहियों के शवों को बेस कैंप तक पहुंचाना. सोनाल ने बताया कि पर्वतारोहियों के शव पिंडारी ग्लेशियर की तरफ 17,000 फीट की ऊंचाई पर थे, जिन्हें रस्सी से बांधकर 20,000 फीट की ऊंचाई पर लाया गया और वहां से शवों को नीचे 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप पहुंचाया गया.

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वहीं, शवों को नंदा देवी बेस कैंप से वापस लाने वाले भारतीय वायुसेना के पायलट विशाल मेहता ने बताया कि 15,000 फीट की ऊंचाई पर मौसम और परिस्थितियां बिल्कुल अनुकूल नहीं थी. बावजूद इसके वो हेलीकॉप्टर की अधिकतम क्षमता का उपयोग कर शवों को वापस लाने में कामयाब रहे.

Last Updated : Jul 4, 2019, 2:30 PM IST

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