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अल्मोड़ा लोकसभा सीट में 128 बूथों पर नहीं संचार की व्यवस्था, गिने चुने सेटेलाइट फोन के भरोसे लोकसभा चुनाव - जिला निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे

अल्मोड़ा संसदीय सीट के 128 पोलिंग बूथ पूरी तरह से संचार सुविधा से वंचित हैं. पिथौरागढ़ जिले में सबसे ज्यादा 48 पोलिंग स्टेशन, बागेश्वर जिले के 47 मतदान केंद्र, चंपावत जिले में 31 मतदान केंद्र और अल्मोड़ा के दो पोलिंग बूथ संचार विहीन हैं. संचार से अछूते इन मतदान केंद्रों में प्रशासन सैटेलाइट सुविधा और संदेश वाहकों के जरिये सूचनाएं एकत्रित करने की बात कर रहा है.

अल्मोड़ा संसदीय सीट संचार नेटवर्क.

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Published : Mar 22, 2019, 8:53 PM IST

पिथौरागढ़: प्रदेश में पहले चरण में ही आगामी 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होने हैं. चुनाव होने में कुछ ही दिन बाकी रह गये हैं. ऐसे में प्रशासन के दावे खोखले नजर आ रहे हैं. यहां अल्मोड़ा संसदीय सीट के 128 पोलिंग बूथ पूरी तरह से संचार सुविधा से वंचित हैं. प्रशासन इन बूथों में सैटेलाइट फोन उपलब्ध कराने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत में प्रशासन के पास पूरे लोकसभा क्षेत्र में गिने-चुने ही सैटेलाइट फोन हैं. ऐसे में चुनाव संपन्न कराने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

जानकारी देते जिला निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे.


संचार क्रांति के इस दौर में सूबे के कई दूरस्थ इलाके ऐसे भी हैं, जो आज भी संचार से अछूते हैं. इसी क्रम में अल्मोड़ा संसदीय सीट के पिथौरागढ़ जिले में सबसे ज्यादा पोलिंग स्टेशन संचार सुविधा से वंचित हैं. यहां के 48 पोलिंग स्टेशन ऐसे हैं, जहां न तो मोबाइल के सिग्नल उपलब्ध हैं, ना ही लैंडलाइन. जबकि केवल दो बूथों में ही लैंडलाइन की सुविधा मौजूद है.
बागेश्वर जिले के 47 मतदान केंद्रों में संचार सेवाओं का नामोनिशान नहीं है. चंपावत जिले में भी 31 मतदान केंद्र संचार से अछूते हैं. जबकि अल्मोड़ा में संचार विहीन मतदान केंद्रों की संख्या दो है. वहीं, संचार से अछूते इन मतदान केंद्रों में प्रशासन सैटेलाइट सुविधा और संदेश वाहकों के जरिये सूचनाएं एकत्रित करने की बात कर रहा है.


वहीं, मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि कुछ बूथ संचार सुविधा से वंचित हैं. इन बूथों में सैटेलाइट फोन, रेडियो सेट और संदेशवाहकों के जरिये ही सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं.


बता दें कि प्रशासन के पास लोकसभा में गिने-चुने ही सेटेलाइट फोन हैं, जबकि संचार विहीन पोलिंग बूथों की संख्या 128 है. ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि चुनाव के दौरान निष्पक्षता के साथ कैसे संचार का समन्वय किया जा सकेगा?

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