पिथौरागढ़/बेरीनाग/खटीमा:कुमाऊं में सातू-आठू यानि गमारा पर्व मनाया जा रहा है. शिव-पार्वती की उपासना का ये पर्व खासतौर पर महिलाओं से संबंधित हैं. वहीं, सातू-आठू का ये पर्व भाद महीने की पंचमी से शुरू होता है और पूरे हफ्ते भर चलता है. महिलाएं इस पर्व में शिव-पार्वती के जीवन पर आधारित लोक गीतों पर नाचती-गाती और कीर्तन भजन करती हैं.
वैसे तो देवभूमि में कई ऐसे एतिहासिक पर्व मनाये जाते हैं, लेकिन इनमें सबसे खास है शिव-पार्वती की उपासना का पर्व सातूं-आठू. जो कुमाऊं में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ये पर्व भादौ भाद्रमाह के सप्तमी अष्ठमी को मनाया जाता हैं. मान्यता है कि सप्तमी को मां गौरा अपने मायके से रूठ कर मायके आती हैं. और उन्हें लेने अष्टमी को भगवान महेश आते हैं.
ऐसे में गांव के सभी लोग सप्तमी अष्ठमी को मां गौरा और भगवान महेश की पूजा करते हैं. सप्तमी को मां गौरा व अष्टमी को भगवान महेश की मूर्ति बनाई जाती है. इस मूर्ति में धतूरा, मक्का, तिल व बाजरा का पौधा लगाकर और सुन्दर वस्त्र पहनाएं जाते हैं. वहीं, सप्तमी की रात को सभी महिलाएं विधि अनुसार पूजा और भजन कीर्तन करती हैं.