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चुनाव से पहले नए जिलों को लेकर राजनीति गर्म, जिला पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार

उत्तराखंड में एक बार फिर 4 नए जिलों को लेकर सिसायत गरम है. तत्कालीन निशंक सरकार ने साल 2011 में डीडीहाट, रानीखेत, कोटद्वार और यमुनोत्री जिले बनाने का ऐलान किया था. लेकिन ये जिले अभी तक वजूद में नहीं आ पाए हैं.

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उत्तराखंड में 4 नए जिलों की मांग

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Published : Nov 18, 2021, 4:48 PM IST

पिथौरागढ़:आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासत चरम पर है. सरकार जहां जिला पुर्नगठन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है. बीजेपी ने साल 2011 में 4 नए जिलों का जीओ तो जारी किया था. लेकिन ये जिले अभी तक वजूद में नही आ पाए हैं.

निशंक सरकार ने साल 2011 में डीडीहाट, रानीखेत, कोटद्वार और यमुनोत्री जिले बनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद खंडूरी सरकार में चारों जिलों का शासनादेश भी जारी किया था. जीओ जारी होने के बाद भी ये चारों जिले वजूद में नहीं आ पाए हैं. असल में 2012 में कांग्रेस सरकार ने जिलों के परिसीमन और कुछ नए जिलों की जरूरत बताकर जिला पुर्नगठन आयोग बनाया. तब से सरकारें आयोग की रिपोर्ट के इंतजार में हैं.

चुनाव से पहले नए जिलों के गठन को लेकर गरमाई राजनीति.

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अलग जिले की मांग को लेकर डीडीहाट में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. डीडीहाट में ही सीएम पुष्कर धामी का पैतृक घर भी है. यही नही रानीखेत, यमुनोत्री और कोटद्वार में भी जिले की मांग को लेकर लोग आए दिन सड़कों पर उतरते हैं. ऐसे में चुनावी साल में कांग्रेस इस मुद्दे को गर्माना चाहती है. यही नहीं, नए जिलों के सवाल पर वो सरकार की नियत पर भी सवाल खड़ा कर रही है.

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