पिथौरागढ़: मुनस्यारी तहसील के आपदाग्रस्त धापा गांव में लोग खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं. बता दें, 19 जुलाई की रात धापा में बादल फटने से पूरा गांव भूस्खलन की जद में आ गया था. धापा गांव में बरसात के साथ ही लगातार पहाड़ियों से भूस्खलन जारी है, जिसके चलते गांव के 52 प्रभावित परिवार टेंटों और सरकारी भवनों में शरण लेने को मजबूर है. वहीं, अब 130 परिवारों वाले धापा गांव के ग्रामीणों ने सरकार से विस्थापन की गुहार लगाई है.
बता दें कि मरघट में तब्दील हो चुका धापा गांव अब अपने ही बाशिंदों को डरा रहा हैं. गांव में 4 दर्जन से अधिक मकान 5 से 8 फीट मलबे में दफ्न हो गए है. 19 जुलाई की रात धापा गांव में आयी आपदा में ग्रामीणों ने भले ही अपना जीवन बचा लिया हो, लेकिन खेती के साथ कई मवेशी भी आपदा की भेंट चढ़ गए हैं.
खौफ के साये में जी रहे धापा गांव के लोग ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर जब हालात का जायजा लिया तो हालात काफी विकट नजर आए. आपदा प्रभावितों के लिए बनाए गए राहत कैंपों में बिजली और शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते पिछ्ले 10 दिनों से 52 परिवार मुश्किल हालातों में दिन गुजार रहे हैं, अभी तक आपदा प्रभावीतों को महज आश्वासन सिवा के कुछ नहीं मिला है. वहीं, प्रशासन हर संभव मदद देने के साथ ही भूगर्भीय सर्वेक्षण के बाद विस्थापन का प्लान तैयार करने की बात कर रहा है.
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वहीं, धापा गांव को जोडने वाला मुनस्यारी-लीलम मोटरमार्ग भी सैनरगाड़ के पास लगातार हो रहे भूस्खलन से बंद पड़ा है. बरसात के कारण पहाड़ियों से लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते अगर धापा गांव में कोई बड़ी आपदा आती है तो लोगों को रेस्क्यू करना आसान नहीं होगा, ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द प्रभावितों को राहत देने की कोई ठोस योजना को तत्काल अमल में लाना होगा, जिससे सभी प्रभावितों को बचाया जा सके.