पिथौरागढ़:भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बेलतड़ी गांव में सड़क की मांग को लेकर 6 गांवों के ग्रामीण 25 सितंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. ग्रामीणों ने सड़क की मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है. ग्रामीणों का कहना है कि साल 2005 में इस क्षेत्र के लिए सड़क स्वीकृत हुई थी, मगर 17 साल बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. सड़क न होने से 10 हजार से अधिक आबादी प्रभावित है.
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा से लगे बेलतड़ी, क्वार्बन, धारी, बिलई, भाटी गांव और सोन गांव के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर पिछले 12 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. नाराज ग्रामीणों ने मांग पूरी नहीं होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है.
ईटीवी भारत की टीम ग्रामीणों के आंदोलन की कवरेज के लिए नेपाल सीमा से सटे बेलतड़ी गांव पहुंची, जहां पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. इस दौरान गांव जाने वाले रास्ते में जगह-जगह "रोड नहीं तो वोट नहीं" के नारे लिखे हुए पोस्टर नजर आए. गांव को जोड़ने वाला पैदल रास्ता भी बेहद संकरा और खतरनाक है, जिसके एक तरफ खाई है तो दूसरी तरफ चट्टान है. इलाके की 10,000 हजार से अधिक आबादी के लिए यही एकमात्र रास्ता है. यहां घायल, बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है.
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ईटीवी भारत की टीम जब बेलतड़ी गांव पहुंची तो धरने पर बैठे ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना है कि वो दशकों से सड़क की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, मगर अभी तक उनका गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क न होने के कारण गांव के तीन रिटायर्ड फौजी अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं. यही नहीं, गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही डिलीवरी हो चुकी है.