पिथौरागढ़:सीमांत जनपद पिथौरागढ़ जिले का नाबी गांव स्वरोजगार के क्षेत्र में नजीर पेश का कर रहा है. मुख्यधारा से कोसों दूर बसे नाबी के ग्रामीणों ने पूरे गांव को ही होम स्टे में तब्दील कर दिया है. दरअसल, इस गांव के ग्रामीणों ने 2017 में होमस्टे के जरिए रोजगार शुरू किया था. देखते ही देखते पिछले 4 सालों में यहां के 35 से अधिक परिवार होमस्टे से जुड़ गए हैं.
पारंपरिक शैली में बने इन घरों को सैलानी काफी पसंद कर रहे हैं. होमस्टे में तब्दील होने से गांव में सैलानियों का तांता लगा रहता है. साथ ही ग्रामीणों को भी घर पर ही रोजगार मिला है. ब्यास घाटी की संस्कृति, वेशभूषा, खान-पान और रहन-सहन के तौर तरीकों को नजदीक से जानने के लिये पर्यटक यहां खिंचे चले आ रहे हैं. ये बात अलग है कि इस साल नाबी का पर्यटन कोरोबार भी कोरोना की भेंट चढ़ा हुआ है. हिमालय की चोटियों के बीच बसा नाबी गांव आज स्वरोजगार के क्षेत्र में दूसरों को रास्ता दिखा रहा है. केएमवीएन के सहयोग से ये गांव मॉडल होम स्टे विलेज के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. 12 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे नाबी गांव तक पहुंचना भले ही कठिन हो, लेकिन यहां की वादियां सैलानियों को रास आ रही है.