पिथौरागढ़: पर्वतीय क्षेत्रों के फल भी अपने आप में खास होते हैं, जिनका रसीला स्वाद लोगों की जुबां पर एक बार चढ़ जाए तो उतरने का नाम ही नहीं लेता है. यही नहीं ये फल अपने औषधिय गुणों से भी भरपूर होते हैं. पहाड़ के गर्म घाटी वाले क्षेत्रों में इन दिनों पहाड़ी केले की फसल देखने को मिल रही है. नेपाल- सीमा से लगी काली नदी घाटी क्षेत्र में उत्पादित होने वाला खास प्रजाति का मालभोग केला इन दिनों बाजार में खूब बिक रहा है. जिसकी मांग बाजार में लगातार बढ़ती जा रही है.
गौर हो कि मालभोग केला 2 से 3 इंच तक का होता है. इसके साथ ही ये कई बीमारियों में भी अचूक दवा का काम करता है. ये केला पेट दर्द, बुखार और डायरिया की पारम्परिक दवा के रूप में इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही काली नदी घाटी क्षेत्र में लम्बे आकार के तप्पसी केले का भी उत्पादन होता है. ये केला सिरदर्द, सर्दी और जुखाम में गर्म कर दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है. मालभोग और तप्पसी केले की बाजार में खूब डिमांड रहती है. मालभोग (छोटा केला) 50 रुपये दर्जन और तप्पसी (बड़ा केला) 90 रुपये दर्जन बिकता है.