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पहाड़ का दर्द: यहां 'जिंदगी' को है बस कंधों का सहारा, जानिए मदरमा गांव के हालात

मदरमा गांव के ग्रामीणों ने घायल को डोली पर लादकर कई किमी का सफर तय कर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. जहां से उसे मवानी के अस्पताल में भर्ती कराया गया.

Madrama villagers were forced to walk 7 km by loading the injured on the doli.
यहां 'जिंदगी' को है बस कंधों का सहारा

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Published : Feb 26, 2021, 9:08 PM IST

Updated : Feb 26, 2021, 10:15 PM IST

पिथौरागढ़:आजादी के 7 दशक बाद भी सड़क सुविधा से वंचित बंगापानी तहसील के मदरमा गांव में बीमार और गर्भवती महिलाओं को डोली के सहारे अस्पताल तक पहुंचाया जाता है. ग्रामीणों के दर्द को बयां करती ऐसी ही तस्वीर एक बार फिर सामने आई है. दरअसल मदरमा गांव के सुंदर सिंह के पैर में चोट लगी थी. जिससे वे चलने में असमर्थ थे. ऐसे में ग्रामीणों ने लकड़ियों में कुर्सी बांधकर डोली बनाई. जिसमें मरीज को बिठाकर खराब रास्तों से होते हुए 7 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया गया. जहां से उसे मवानी के अस्पताल में भर्ती कराया गया.

बंगापानी तहसील के मदरमा गांव में लोग आज भी आदिम युग सा जीवन जीने को मजबूर हैं. गांव के रहने वाले सुंदर सिंह के पांव में चोट लगने पर उसे ग्रामीणों ने 7 किलोमीटर दूर डोली पर लादकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. ग्रामीणों को ये सफर तय करने में करीब 5 घंटे का समय लगा.

यहां 'जिंदगी' को है बस कंधों का सहारा

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मदरमा गांव के प्रधान उमेश धामी ने बताया कि उनके गांव में अब तक सड़क नहीं बनी है. साथ ही पिछले साल आयी आपदा के दौरान जो रास्ते क्षतिग्रस्त हो गये थे वो अब भी जस के तस पड़े हैं. जिसके चलते बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार अस्पताल ले जाने से पूर्व ही बीमार और घायल दम तोड़ देते हैं. उन्होंने सरकार से क्षेत्र को सड़क से जोड़ने की मांग की है.

Last Updated : Feb 26, 2021, 10:15 PM IST

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