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आजादी के सात दशक बाद भी यहां नहीं पहुंची विकास की किरण, मीलों का सफर तय करना ग्रामीणों की बनी नियति

नेपाल सीमा से लगे हल्दू -पंचेश्वर क्षेत्र के लोगों को 10 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं. इस सीमांत क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ने वाला क्वितड़- हल्दू- पंचेश्वर मार्ग 7 साल बाद भी पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो पाया है. जिसके चलते यहां के लोग आज भी आदिम युग जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं.

10 किलोमीटर पैदल सफर से मुख्य सड़क तक जाते है ग्रामीण.

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Published : Aug 3, 2019, 1:39 PM IST

Updated : Aug 3, 2019, 2:08 PM IST

पिथौरागढ़: आजादी के सात दशक बाद भी जिले के कई सीमांत इलाके मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाएं हैं. जिसके चलते यहां के लोग आज भी आदिम युग जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं. नेपाल सीमा से लगे हल्दू -पंचेश्वर क्षेत्र के लोगों को 10 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं. इस सीमांत क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ने वाला क्वितड़- हल्दू- पंचेश्वर मार्ग 7 साल बाद भी पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो पाया है. जितना भी मार्ग बना है उसकी हालत बेहद खस्ताहाल है. ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं होने से लोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं.

आजादी के सात दशक बाद भी यहां नहीं पहुंची विकास की किरण.

बता दें कि जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर हल्दू-पंचेश्वर क्षेत्र उन सीमांत इलाकों में से एक है जहां आज भी विकास की किरण नही पहुंच पाई है. नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों को जोड़ने वाले क्वितड़-हल्दू मोटरमार्ग की हालत बेहद खराब है. सड़क की चौड़ाई बहुत कम है और कच्ची सड़क में जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं.

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जिसके चलते लगातार दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. साल 2012 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना तहत क्षेत्र को सड़क से जोड़ने का काम शुरू हुआ था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. क्वितड़ से पंचेश्वर तक प्रस्तावित 20 किलोमीटर मार्ग में अभी तक 50 फीसदी काम भी नहीं हुआ है.

इस सड़क का जिम्मा फिलहाल लोकनिर्माण विभाग को सौंप दिया गया है. समय रहते इस मार्ग का निर्माण कार्य होने से भारत और नेपाल की 20 हजार से अधिक आबादी को लाभ मिल सकेगा.

Last Updated : Aug 3, 2019, 2:08 PM IST

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