पिथौरागढ़:नेपाल भारत के जिन हिस्सों को अपना बता रहा है, वो इलाके साल 1962 के बंदोबस्त से भारतीय अभिलेखों में दर्ज हैं. सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक कालापानी से नाभीढांग तक की करीब 9 किलोमीटर का इलाका गर्ब्यांग गांव का तोक है. भूमि अभिलेखों में ये जमीन कैंप कालापानी के नाम से दर्ज है. करीब 5 हजार नाली के इस भू-भाग में 711 नाप खेत मौजूद हैं. जो गर्ब्यांग गांव के ग्रामीणों के नाम दर्ज है. वहीं नाभीढांग से लिपुलेख तक का इलाका गुंजी ग्राम सभा की वन पंचायत का हिस्सा है. जबकि छोटा कैलाश क्षेत्र में पड़ने वाला लिम्पियाधुरा कुटी ग्रामसभा के अंतर्गत आता है.
दरअसल, नेपाल भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में दिखा रहा है. मगर सच्चाई ये है, कि ये सभी क्षेत्र भारत के हैं. गुंजी के राजस्व निरीक्षक दिनेश जोशी ने बताया, कि ब्रिटिश शासनकाल में साल 1865 में हुए बंदोबस्त में भी कालापानी भारत का ही हिस्सा था. नेपाल, भारत के कालापानी क्षेत्र को 1990 के बाद से ही अपना बता रहा है, जबकि भारतीय सुरक्षा तंत्र यहां पर साल 1955 से ही काबिज है. वहीं, कालापानी इलाके में 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान यहां पर बंकर बनाए गए थे, जो कि ये बंकर आज भी मौजूद हैं. वर्तमान में आईटीबीपी और एसएसबी बल के जवान सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैनात रहती हैं.
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