पिथौरागढ़: चीन और नेपाल सीमा से लगे पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी हैं. आपदा और सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील इस सीमांत जिले में चिकित्सकों का भारी टोटा बना हुआ है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद डॉक्टर्स पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं हैं. जिस कारण जिले भर के अस्पताल खुद कोमा में हैं.
पिथौरागढ़ जिले में डॉक्टर्स के कुल 187 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से मात्र 95 डॉक्टर्स ही नियमित रूप से कार्यरत हैं. जरूरत के मुकाबले महज 50 फीसदी डॉक्टर मौजूद होने के कारण जिला अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर्स की भारी कमी है. जिसका खामियाजा आम लोगों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है. जिले के गंगोलीहाट, धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट, बेरीनाग के अस्पतालों में हालात सबसे बदतर हैं.
पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय में 34 स्वीकृत पदों के मुकाबले 22 डॉक्टर कार्यरत हैं. वहीं महिला अस्पताल में 8 स्वीकृत पदों पर मात्र 6 डॉक्टर हैं. जिले में मुख्यचिकित्सा अधिकारी के 17 पद स्वीकृत हैं जिनमे से मात्र 4 पद ही भरे हुए हैं. पुलिस चिकित्सालय के लिए 1 डॉक्टर का पद स्वीकृत है मगर ये एक पद भी लम्बे समय से रिक्त है. इग्यारदेवी अस्पताल के लिए 8 पद के मुकाबले 7 डॉक्टर ही कार्यरत हैं.