बेरीनाग: लाॅकडाउन में घरों को लौट रहे प्रवासियों को होम और संस्थागत क्वारंटाइन करने के आदेश दिए गए हैं. लेकिन ग्राम प्रधान सरकारों से अधिकार और सुविधा मुहैया कराने की कई बार मांग कर चुके है. ग्राम प्रधानों का कहना है कि उन्हें क्वारंटीन सेंटर चलाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. हालांकि, इसमें बेरीनाग के एक ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा नहीं आते. वे अकेले 4 क्वारंटीन सेंटर संभाल रहे हैं और उन्हें कोई सरकारी मदद की जरूरत नहीं.
विकास खंड गंगोलीहाट के ग्राम पंचायत बुसैल में ग्राम प्रधान मोहन सिंह मेहरा ने प्रवासियों के लिए बनाये गये क्वारंटाइन केन्द्रों में ऐसी व्यवस्था की है कि वहां किसी अधिकारी या कर्मचारी को जाने की जरूरत नहीं पड़ रही. ग्राम पंचायत बुसैल में 4 क्वारंटाइन सेंटर हैं. जिसमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुसैल, प्राथमिक विद्यालय तिमाड़ी, पंचायत भवन नैचुना और आंगनबाड़ी केन्द्र नैचुना आते हैं. इन क्वारंटाइन केन्द्रों में 35 प्रवासी लोग पिछले एक सप्ताह से ठहरे हुए हैं.
मोहन सिंह मेहरा बताते हैं कि पहले तो स्कूल और पंचायत घर के जर्जर भवनों को देखकर वे असमंजस की स्थिति में थे. लेकिन फिर उन्होंने सभी क्वारंटाइन केन्द्रों के खस्ताहाल कमरों को ठीक करने के साथ उनमें दरवाजे, खिड़की से लेकर बिजली की अस्थाई व्यवस्था की.
यही नहीं मोहन बताते हैं कि एक क्वारंटाइन सेंटर में पानी नहीं आता. इसलिए 200 मीटर दूर पानी ढोकर लाना पड़ता है. यहां पर पहले शौचालय की हालत बेहद खस्ता थी, जिसे अब सुधार दिया गया है. वे क्वारंटीन केन्द्रों में ठहरे प्रवासियों के खाने की भी व्यवस्था कर रहे हैं.