पिथौरागढ़: सरकार स्वरोजगार को बढ़ाने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है. वहीं सरकार के दावों के बावजूद सीमांत जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ के न्वाली गांव के रिंगाल हस्तशिल्पियों के दिन नहीं बहुर रहे हैं. जो आज भी अच्छे दिनों की उम्मीद में दिन काट रहे हैं. रिंगाल से पारंपरिक हस्तशिल्प तैयार करने वाले कारीगरों के इस गांव मे करीब 35 परिवार ऐसे है जो रिंगाल की तरह-तरह की वस्तुओं को बनाते हैं. वहीं बाजार में रिंगाल के बने वस्तुओं के उचित दाम नहीं मिलने से हस्तशिल्प कारीगरों को रोजी-रोटी की चिंता सता रही है.
गौर हो कि अतीत से ही कारीगर रिंगाल से डोके और सुप्पा तैयार कर गांवों और बाजारों में बेचते हैं. जो उनके रोजगार का मुख्य साधन भी है. पुश्तैनी रूप से हस्तशिल्प का काम कर रहे इन कारीगरों को मेहनत का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. ये परिवार हस्तशिल्प के जरिये महज 5 से 6000 रुपया महीना आजीविका कमा पाते हैं. वहीं न्वाली गांव में हस्तशिल्प का काम कर रहे अधिकतर युवा पड़े-लिखे हैं. मगर नौकरी न मिलने की वजह से पुश्तैनी हुनर को ही आगे बढ़ा रहे हैं.