पिथौरागढ़: मोरी गांव के आपदा पीड़ितों ने जिलाधिकारी से राहत कैंप में रखे जाने की गुहार लगाई है. असल में आपदा प्रभावितों को राहत कैंप छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इनके सामने दिक्कत ये है कि ये जाएं तो आखिर जाएं कहां?आसमानी आफत ने इनके घरों को जमींदोंज कर दिया है. मुआवजा राशि भी कई प्रभावितों को मिली नहीं हैं. नियमों के मुताबिक राहत शिविरों में 2 महीने ही रखा जा सकता है. प्रशासन एक महीने की समय सीमा पहले ही बढ़ा चुका है.
राजकीय इंटर कॉलेज बरम में रह रहे मोरी गांव के 26 आपदा प्रभावितों को प्रशासन ने आपदा राहत शिविर से निकाल दिया है. जिससे आपदा प्रभावितों में भारी नाराजगी है. सोमवार को मोरी गांव के आपदा प्रभवितों ने 110 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय पहुंचकर राहत शिविरों में शरण दिए जाने की मांग की है.
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प्रभावितों का कहना है कि आपदा में वे अपना सब कुछ खो चुके है. अब प्रशासन ने उन्हें राहत कैम्पों से निकाल दिया गया है. ऐसी स्थिति में वो अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं. बता दें कि मॉनसून सीजन में बंगापानी के मोरी तोक में आसमानी आफत ने जमकर कहर बरपाया था. भारी बारिश के कारण मोरी में कई मकान ध्वस्त हो चुके हैं. लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण कई मकान खतरे की जद में आ गए.
लोगों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने यहां के 26 आपदा प्रभावितों को जीआईसी बरम में रखा गया था, लेकिन दो नवंबर से 10वीं और 12 कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुल जाना है. इस कारण यहां रह रहे आपदा प्रभावितों को मजबूरन भवन खाली करना पड़ रहा है. आपदा प्रभावितों ने डीएम से विस्थापन होने तक रहने की उचित व्यवस्था करने की मांग की है. वहीं, जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे का कहना है कि आपदा प्रभवितों के रहने के लिए 6 माह तक किराया देने की व्यवस्था की जाएगी. साथ विस्थापन की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है.