उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

चेतौल पर्व में उमड़ रहा है आस्था का सैलाब, भगवान शिव के प्रति विशेष आस्था व्यक्त करते हैं भक्त - धार्मिक न्यूज

चैत के महीने में भाइयों द्वारा विवाहित बहनों को भिटौला यानी भेंट देने की परंपरा पहाड़ों में सदियों से चली आ रही है. भिटौले की इसी परम्परा को पिथौरागढ़ में चेतौल पर्व के रूप में मनाया जाता हैं. लोगों का विश्वास है कि भगवान शिव भी इन दिनों अपनी बहनों को भिटौला देने के लिए आते हैं.

चेतौल पर्व की धूम

By

Published : Apr 21, 2019, 2:30 AM IST

पिथौरागढ़ः सोरघाटी पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध लोकपर्वों में से एक है चेतौल पर्व, जो इन दिनों बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. सदियों से मनाया जा रहा यह पर्व भगवान शिव के प्रति आस्था और भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. लोग इस पर्व को मनाने के लिए दूर-दूर से अपने गांवों की ओर खिंचे चले आते हैं. पेश है एक रिपोर्ट.

चेतौल पर्व की चारों ओर धूम

चैत के महीने में भाइयों द्वारा विवाहित बहनों को भिटौला यानी भेंट देने की परंपरा पहाड़ों में सदियों से चली आ रही है. भिटौले की इसी परम्परा को पिथौरागढ़ में चेतौल पर्व के रूप में मनाया जाता हैं. लोगों का विश्वास है कि भगवान शिव भी इन दिनों अपनी बहनों को भिटौला देने के लिए आते हैं.

देव डोले में विराजमान भगवान भोले सोरघाटी के 22 गांवों में रहने वाली अपनी बहनों को उनके गांव जाकर भिटौला देते हैं. इन 22 गांवों में पूजी जाने वाली भगवती को भगवान शिव की बहन माना जाता है. यह पर्व एक ओर जहां आस्था और प्रेम को दर्शाता है, वहीं इसमें शिरकत करने वालों में गजब का जोश देखते ही बनता है.


इस पर्व का का खास आकर्षण भगवान शिव का ये डोला है. जिसे कंधा देने के लिए भक्तों में होड़ मची रहती है. मान्यता है कि डोले को कंधा देने से घर में सुख-समृद्धि आती है. पूरे 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिलता है.

यह भी पढ़ेंः किसानों पर दोहरी मार, पहले बारिश और अब आग का कहर, कई एकड़ गेहूं की फसल राख


एक ओर जहां चेतौल पर्व को भूमिया (भूमि) देवता की पूजा अर्चना के रूप में मनाए जाने की परंपरा है, वहीं धारणा ये भी है कि भूमिया देवता अपनी बहनों को भिटौला देने के लिए जाते हैं. तेजी से बदलते इस दौर में जहां लोग अपनी जड़ों से दूर दूर होते जा रहे है, वहीं सोरघाटी के लोगों का अपनी संस्कृति के प्रति लगाव अनूठा उदाहरण पेश कर रहा है.

ये हैं 22 गांव
चैसर, देवलाल गांव, लुंठ्यूड़ा, बस्ते, देवकटिया, सिलौली, घुनसेरा, उर्ग, गैठना, सुजई, ओढ़माथा, बिण, दौला, कुसौली, भड़कटिया, बरड़ीगांव, कोटली, रूईना, सिमखेला, रिखाई, कुमौड़, जाखनी

ABOUT THE AUTHOR

...view details