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चट्टानों को चीर नजंग तक पहुंची सड़क, 2020 में चीन सीमा तक पहुंचेंगी गाड़ियां

पिथौरागढ़ के कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक यानि चीन सीमा तक बीआरओ सड़क का निर्माण कर रही है. बीआरओ की टीम ने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद नजंग तक सड़क काटकर तैयार कर दी है. ये सड़क बनने से दारमा और व्यास घाटी के दर्जनभर से ज्यादा गांव मुख्यधारा से जुड़ने के साथ कैलाश मानसरोवर यात्रियों को भी सहूलियत मिलेगी. 2020 तक चीन सीमा तक रोड कनेक्टिविटी का लक्ष्य रखा गया है.

चट्टानों को चीर नजंग तक पहुंची सड़क

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Published : Jun 17, 2019, 6:04 PM IST

पिथौरागढ़:चीन सीमा में लिपुलेख तक बन रही सड़क की सबसे बड़ी बाधा को बीआरओ की टीम ने पार कर ली है. यहां पर टीम ने लखनपुर से नजंग के बीच कठोर चट्टानों को काटकर तीन किमी सड़क बना ली है. अब जल्द ही नजंग से बूंदी के बीच सड़क बनते ही चीन सीमा तक वाहन चलने लगेंगे. उधर, चीन सीमा की ओर से बूंदी तक 51 किलोमीटर सड़क का निर्माण पहले ही किया जा चुका है.

चट्टानों को चीर नजंग तक पहुंची सड़क.


बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक 95 किलोमीटर लंबी सड़क का काम सीमा सड़क संगठन (BRO) की हीरक परियोजना के अधीन चल रहा है. कठोर चट्टानों के कारण लखनपुर से नजंग के बीच 3 किलोमीटर सड़क की कठिन चुनौती बनी हुई थी, लेकिन बीआरओ की टीम ने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद नजंग तक सड़क काटकर तैयार कर दी है. अब नजंग मालपा के बीच 2 किलोमीटर सड़क की कटिंग बाकी है. जिसे पूरा करने का टारगेट 2019 के अंत तक रखा गया है.

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बीआरओ की मानें तो सब प्लान के मुताबिक और मौसम के अनुकूल रहा तो 2020 तक चीन सीमा तक रोड कनेक्टिविटी हो जाएगी. इस सड़क के बनने से दारमा और व्यास घाटी के दर्जनभर से ज्यादा गांव मुख्यधारा से जुड़ेंगे. साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रियों को भी सहूलियत मिलेगी.


सड़क कटिंग के दौरान जान और माल की हो चुकी है क्षति-
लखनपुर से नजंग की पहाड़ियों को काटने में बीते दस सालों में ग्रिफ के एक जूनियर इंजीनियर, दो ऑपरेटर और 6 स्थानीय मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इन कठोर चट्टानों के नीचे करोड़ों की मशीन भी दफन हो गई थी. सड़क निर्माण के दौरान 65 लाख की लागत का डोजर, 2.5 करोड़ की डीसी, 400 ड्रिलिंग मशीन, 40 लाख रुपये की वेगन डील मशीन समेत कई मशीन नष्ट हुई हैं.

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