श्रीनगर: प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बांधों से बिजली का निर्माण होने के कारण इसे ऊर्जा प्रदेश भी कहा जाता है. श्रीनगर के आधा दर्जन गांवों के लोगों ने निजी कंपनी को अपनी जमीन देकर विद्युत परियोजना को पूरा करने में मदद की. वहीं, कर्मचारियों का आरोप है कि बांध निर्माता कंपनी ने 111 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है. अब ये लोग इंसाफ के लिए प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं.
श्रीनगर जल विद्युत परियोजना अलकनंदा नदी के किनारे इस डैम की शुरुआत जीवीके कंपनी के जरिए 2006 में की गई. उसी वर्ष कंपनी ने निर्माण कार्य भी शुरू किया और महज 9 वर्षों के अंदर कंपनी ने बिजली का उत्पादन करना शुरू कर दिया. इस जल विद्युत परियोजना से 330 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है, जिसकी 12 प्रतिशत बिजली उत्तराखंड को मिलती है, शेष 88 प्रतिशत बिजली उत्तर प्रदेश को दी जाती है.
जल विद्युत परियोजना को बनाने के लिए श्रीनगर के ग्रामीणों ने अपनी भूमि जीवीके कंपनी को दे दी थी, जिसकी एवज में कंपनी ने वहां के लोगों को 30 साल तक नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया था. साथ ही उसके लिए बकायदा बॉड भी भरे गए थे. ये संधि एसडीएम, ग्राम प्रधान और जिलाधिकारी सहित कई उच्च अधिकारियों की देखरेख में हुई थी, लेकिन आज वहां काम कर रहे कई लोगो पर नौकरी का संकट गहरा रहा है.