कोटद्वार: अधिवक्ता सुशील रघुवंशी हत्याकांड में अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले गवाहों पर जान का खतरा मंडरा रहा है. गवाहों द्वारा पुलिस में शिकायत करने के बावजूद भी पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. पुलिस की लापरवाही कभी भी एक बड़े अपराध को जन्म दे सकती है.
13 सितंबर 2017 को हुए रघुवंशी हत्याकांड में पुलिस डेढ़ साल तक किसी भी अपराधी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई. इससे नाराज कई सामाजिक संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया. जब इससे भी किसी भी तरह का निस्तारण नहीं हो पाया तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. इसके बाद पुलिस की नींद खुली और एसआईटी गठित कर अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया.
अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले बार संघ अध्यक्ष किशन सिंह पवार, ध्यान सिंह नेगी, शगुफ्ता सिंह, अधिवक्ता हुकुम सिंह, मृतक अधिवक्ता की पत्नी रेखा रघुवंशी, राजीव गौड़, आशीष किमोठी, मुजीब नैथानी थे. जेल में बंद आपराधिक जगत में खासा नाम रखने वाले सुरेंद्र सिंह नेगी उर्फ सूरी ने राजीव गौड़ को जान से मारने की धमकी दी, जिस पर आशीष किमोठी ने पुलिस क्षेत्राधिकारी से लिखित शिकायत की.