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उप जिलाधिकारी के निर्देशों की उड़ाईं धज्जियां, बंद फैक्ट्री को राजनीतिक रसूख के बल पर फिर से किया शुरू

जसोधरपुर सिडकुल स्थित पीएल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के दौरान दो लोगों की मौत और 2 लोग के घायल हो गए थे. इस मामले में तत्कालीन उप जिलाअधिकारी द्वारा सहायक श्रम आयुक्त और तहसीलदार को जांच के आदेश दिए थे.

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Published : Mar 16, 2019, 3:31 PM IST

निर्देशों की उड़ाईं धज्जियां

कोटद्वारः शासकीय अधिकारियों के निर्देशों की किस तरह धज्जियां उड़ाई जाती हैं उसका जीता जागता उदाहरण कोटद्वार में देखा जा सकता है. यहां उप जिलाधिकारी के निर्देशों की उड़ाईं धज्जियां उड़ाते हुए उस फैक्ट्री को नियम के विपरीत पुनः शुरु करने का मामला सामने आया है, जिसे अग्रिम आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया गया था. ऐसे में प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि फैक्ट्री मालिक ने अपनी राजनीति रसूख के दम पर फैक्ट्री शुरु कर दी.

जानकारी के अनुसार 8 जनवरी को जसोधरपुर सिडकुल स्थित पीएल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के दौरान दो लोगों की मौत और 2 लोग के घायल हो गए थे. इस मामले में तत्कालीन उप जिलाअधिकारी द्वारा सहायक श्रम आयुक्त और तहसीलदार को जांच के आदेश दिए थे.

जांच में फैक्ट्री में श्रम कानूनों की उल्लंघन के कई मामले सामने आए थे, जिसमें उप जिलाधिकारी ने उक्त फैक्ट्री को अग्रिम आदेश तक बंद करने के लिए कोटद्वार कोतवाली को निर्देशित किया था, लेकिन फैक्ट्री मालिक की राजनीतिक पहुंच और पुलिस की सांठगांठ से बिना उपजिलाधिकारी के आदेश से फैक्ट्री को वर्तमान में सुचारू रूप से चालू करवा दिया गया जिसका खुलासा सूचना के अधिकार में हुआ.

दूसरी ओर चालू फैक्ट्री के संबंध में वर्तमान उपजिलाधिकारी को जानकारी नहीं है. जांच के दौरान फैक्ट्री मालिक की राजनीति पहुंच होने के कारण दो उपजिलाधिकारी सहित सहायक श्रम आयुक्त तक तबादला हो गया. श्रम आयुक्त और तहसीलदार ने फैक्ट्री में श्रम कानून के तहत कई खामियां मिलने की शिकायत जांच रिपोर्ट सौंपी थी.

बंद फैक्ट्री को राजनीतिक रसूख के बल पर फिर से किया शुरू

उप जिलाधिकारी कोटद्वार की जांच रिपोर्ट के बाद पीएल प्राइवेट लिमिटेड पर ताला लटक सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फैक्ट्री प्रबंधक ने अपनी राजनीति पहुंच दिखाकर जांच में व्यवधान के लिए कई अधिकारियों का ट्रांसफर करवा दिया. गत 8 जनवरी की शाम को जसोधरपुर स्थित पीएल प्राईवेट लिमिटेड फैक्ट्री में अचानक धमाका हो गया जिसमें बिजनौर जनपद के रानू (24) पुत्र विजेंदर व बिहार के अररिया जनपद के ग्राम सिसौना निवासी 26 वर्षीय अफरोज उर्फ नानू पुत्र बदरुद्दीन की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि शादाब और सुनील बुरी तरह इस घटना में घायल हो गए थे.

जिसके बाद उपजिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर तहसीलदार और श्रम आयुक्त व पुलिस को जांच के आदेश जारी किये थे और अग्रिम आदेशों तक फैक्ट्री को पूर्ण रूप से बंद रखने के आदेश भी जारी किए थे. धमाके के बाद सभी अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट उपजिलाधिकारी को प्रेषित की थी जिसमें कि कई खामियां पाईं गईं थी, लेकिन फैक्ट्री मालिक की राजनीतिक पहुंच के कारण जांच में व्यवधान पहुंचाने के लिए और कार्रवाई से बचने के लिए उप जिलाधिकारी से लेकर सहायक श्रमायुक्त तक के ट्रांसफर करवा दिए गए.
सूचना के अधिकार में पता चला कि तत्कालीन उप जिला अधिकारी कमलेश मेहता ने कोटद्वार कोतवाली को अग्रिम आदेशों तक फैक्ट्री को बंद रखने के आदेश जारी किए थे, लेकिन खोलने के कोई भी आदेश नहीं जारी किए थे.
फैक्ट्री में इन नियम कानूनी का हुआ था उल्लंघन
न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, वेतन भुगतान अधिनियम 1936, औद्योगिक नियोजन (स्थाई आदेश)अधिनियम 1946 एवं नियमावली 1946, संविदा श्रम अधिनियम 1970, कारखाना अधिनियम 1948, बोनस भुगतान अधिनियम 2015, अंतराज्यीय प्रवास कर्मकार अधिनियम 1979 नियमावली 1983 व अनुतोषिक भुगतान अधिनियम 1972 अधिनियम का उल्लंघन किया गया था.
साथ ही कर्मचारियों के लिए सुरक्षा किट, फर्स्ट एड बॉक्स, दुर्घटना की स्थिति में प्रबंधक द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर न देना, पीएफ व ई एस आई सी की सुविधा ना कर्मचारियों को देना, कंपनी में कोई भी तकनीकी दक्ष डिप्लोमा होल्डर नहीं होना जैसी कई खामियां जांच में पाईं गईं थीं.

वहीं सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी में पाया गया कि तत्कालीन उप जिलाधिकारी ने तहसीलदार की जांच पर फैक्ट्री को अग्रिम आदेश तक बंद करने के आदेश दिए थे. उसके बाद सहायक श्रम आयुक्त की टीम द्वारा भी जांच की गई और जांच में पाया गया कि इस फैक्ट्री द्वारा कई नियम कानूनों का उल्लंघन किया गया है. वह चलाने जाए जाने योग्य नहीं है. सूचना के अधिकार में पायी गयीं प्रतिलिपि में वह आदेश कहीं भी नहीं है, कि कि फैक्ट्री को सुचारू रूप से चालू करवा दिया जाए. मुजीब नैथानी ने सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में उक्त जानकारी हासिल की
वहीं पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी मनीष कुमार का कहना है कि फैक्ट्री के संबंध में मेरे द्वारा पूरा पत्रावली देखी गई है उसमें पाया गया कि तत्कालीन उप जिला अधिकारी कमलेश मेहता द्वारा प्रभारी निरीक्षक को अग्रिम आदेशों तक फैक्ट्री को बंद करने के आदेश जारी किए गए थे. मेरे द्वारा इसका परीक्षण किया जाएगा क्योंकि यह विभाग श्रम विभाग के अधीन है. पोल्यूशन कंट्रोल विभाग का मामला है उनके स्तर पर ही कार्रवाई की जानी चाहिए थी. मेरे द्वारा यह भी देखा जाएगा कि कि वर्तमान में उपजिलाधिकारी के आदेशों का अनुपालन कराने योग्य इस स्तर पर है या नहीं.

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