कोटद्वारःपौड़ी जिले के एकेश्वर प्रखंड में लगे सोलर पावर प्लांट को ग्रामीणों ने बंद करा दिया है. ग्रामीणों का आरोप है कि संबंधित प्राइवेट कंपनी ने लोगों की राजस्व भूमि, नाप भूमि और पशुओं के चारागाह कब्जा लिए हैं. जो भूमि उन्हें लीज पर दी गई थी, उसका किराया भी बीते 4 साल से नहीं दिया है. उन्होंने अवैध रूप से पेड़ काटने के साथ ही प्रशासन पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया है.
दरअसल, पौड़ी के एकेश्वर विकासखंड के अक्षय ऊर्जा प्राधिकारण के तहत ग्राम सभा ध्याडी, डांडा मल्ला में सोलर पावर प्लांट लगाया गया है. यहां पर गावों की 1262 नाली भूमि पर 29 सोलर पावर प्लांट स्थापित किये गए हैं. जिनसे मौजूदा समय में 20 से 30 हजार यूनिट बिजली उत्पादन हो रहा है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्लांट स्वामियों ने उनकी कम भूमि लीज पर ली है. जबकि, ज्यादा भूमि पर कंपनी ने कब्जा किया हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि मित्तल प्लांट ने पिछले चार सालों से भूमि का किराया भी नहीं दिया है. जिसे लेकर ग्रामीणों ने मित्तल कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
एकेश्वर प्रखंड में लगे सोलर प्लांट को लेकर मुखर ग्रामीण. ये भी पढ़ेंःसोलर पावर प्लांट को युवा बना सकेंगे आय का साधन, तैयारियों में जुटी सरकार
ग्रामीणों ने दी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनीःग्रामीणों का आरोप है कि राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों को सोलर प्लांट योजना से जोड़कर स्वरोजगार मुहैया कराने की बात कही, लेकिन स्थानीय लोगों से दूरी बनाकर बाहरी लोगों को सोलर प्लांट का फायदा पहुंचाया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि तत्काल हमारी भूमि का किराया नहीं दिया गया और कब्जाई भूमि नहीं छोड़ी गई तो वो अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करने पर विवश होंगे.
योजना में सब्सिडी डकार रहे बाहरी लोगःस्थानीय निवासी एवं पर्यावरण जानकार रमेशचंद्र बौड़ाई बताते हैं कि 29 प्लांटों में ज्यादातर बाहरी लोग हैं. जिसके चलते स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, न ही कंपनी मालिकों ने स्थानियों को रोजगार से जोड़ा है. जिससे प्रतीत होता है कि सरकार की ओर से योजना में सब्सिडी का लाभ लिया जा रहा है.
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वहीं, ग्रामीणों के हंगामे पर राजस्व उप निरीक्षक वेदप्रकाश मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि मित्तल कंपनी की ओर से अभी तक स्थानीय किसानों की भूमि खरीद व लीज के संबंध कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जिसके चलते लोगों ने कंपनी के आने-जाने के रास्ते बंद कर विरोध किया. साथ ही बताया कि वन विभाग की ओर से उक्त भूमि पर खड़े 12 पेड़ों की कटान की अनुमति ली गई थी, लेकिन इसके अतिरिक्त 8 पेड़ ज्यादा काटे गए. जिस पर 40 हजार रुपए का चालान वसूला गया है.