कोटद्वार: लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र के नैनीड़ाडा और रिखणीखाल ब्लाॅक के पैनो पट्टी में अप्रैल से बाघों का आतंक बना हुआ है. जिसके चलते आज ग्रामीण DFOसे मिले. लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र की पैनो पट्टी गढ़वाल वन प्रभाग के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सीमा से लगी हुई है. क्षेत्र में दशकों बाद यह पहला मौका है, जब बाघों ने लगातार ग्रामीणों को अपना निवाला बनाया है. 1318.54 वर्ग किलोमीटर में फैले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का 521 वर्ग किलोमीटर भू भाग कोर जोन, जबकि 797.72 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा वफर जोन में पड़ता है. बाघों के आतंक की वजह से लोग घरों में दुबक कर बैठे हैं.
कोर जोन का 312.86 वर्ग किलोमीटर हिस्सा जनपद पौड़ी के रिखणीखाल नैनीडांडा क्षेत्र से लगा हुआ है. जिले में कॉर्बेट टाइगर नेशनल पार्क की 62 किलोमीटर सीमा दोनों ब्लॉक के दर्जनों गांवों की सीमा से सट्टी हुई है. 2011 में वन्यजीव के आतंक के चलते ग्राम धामधार के ग्रामीणों ने पिंजरे में कैद गुलदार को आग के हवाले कर दिया था. अप्रैल माह से दशकों बाद क्षेत्र में पांच बाघों की चहलकदमी देखी गई. बाघों ने अब तक तीनों लोगों और सैकड़ों मवेशियों को घायल कर अपना निवाला बनाया है.
वर्ष 1933 में आदमखोर बाघ ने झर्त तैडिया पापड़ी कांड़ा नाला गांवों में पांच ग्रामीणों को अपना निशाना बनाया था. साथ ही दर्जनों लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. क्षेत्र में बाघ के आतंक को देखते हुए वन विभाग व जिला प्रशासन ने विश्व प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट को बाघ मारने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद जिम कॉर्बेट ने वर्ष 1933 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सीमा से लगे ग्रामीण क्षेत्र में आदमखोर बाघ को अपनी बंदूक का निशाना बनाया था.
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स्थानीय क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर केन्द्र व राज्य सरकार से कॉर्बेट से लगे गांवों में वन्यजीव संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है, ताकि क्षेत्र में वन्यजीव द्वारा मानव क्षति न हो. ग्रामीणों ने लैंसडाउन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी से मांग उठाई कि बाघ को जल्द ही आदमखोर घोषित किया जाए. वहीं, मांग पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की भी बात कही गई है. प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि मृतकों के परिजनों को प्राथमिक मुआवजा दे दिया गया है. 26 अप्रैल 1 जुलाई को एक बाघ एक बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है.
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