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कोटद्वारः भूमि कटाव से दहशत में ग्रामीण, आपदा का सता रहा खौफ - पौड़ी डीएम

दुगड्डा ब्लॉक के ग्राम पंचायत उमत के लिसाड़ी गांव में भूमि कटाव का खतरा बना हुआ है. यहां साल 2013 में लंगूर गाड़ नदी का जलस्तर बढ़ गया था. जिसमें 10 नाली भूमि बह गई थी. अब फिर से ग्रामीमों को आपदा का खौफ सताने लगा है.

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लिसाड़ी गांव

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Published : Aug 15, 2020, 6:49 PM IST

कोटद्वारः साल 2013 में लंगूर गाड़ नदी में आई भीषण बाढ़ के बाद भी प्रशासन नींद से नहीं जाग पाया है. उस दौरान दुगड्डा ब्लॉक के लिसाड़ी गांव में भूमि कटाव हुआ था. सात साल बीत जाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए बाढ़ सुरक्षा के कार्य नहीं किए हैं. जिसके चलते ग्रामीणों खौफ में जीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों का कहना है मामले को लेकर वो कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं. इसके बावजूद उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

लिसाड़ी गांव में भू-कटाव से खौफजदा ग्रामीण.

दरअसल, मामला कोटद्वार से महज 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित दुगड्डा ब्लॉक के ग्राम पंचायत उमत के लिसाड़ी गांव का है. यहां बहने वाली लंगूर गाड़ नदी में साल 2013 में भीषण बाढ़ आई थी, जिसमें ग्रामीणों की 10 नाली भूमि बह गई थी. उसके बाद से ही हर साल बरसात के मौसम में लंगूर गाड़ नदी में भूमि का कटाव होता जा रहा है, लेकिन सात साल बीत के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने बाढ़ सुरक्षा का कार्य नहीं किया है.

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स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत सिंचाई विभाग, ब्लॉक अधिकारी, विधायक, उप जिलाधिकारी और जिलाधिकारी से भी की, लेकिन किसी के कानों में जूं तक नही रेंगी. ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही आसमान में काले बादल छाते हैं तो उन्हें डर सताने लगता है न जाने कब लंगूर गाड़ उफान पर आ जाए और उनके खेत खलियान और घर को जलमग्न न कर दें.

डीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की कर चुके मांग.

ग्रामीण पार्वती देवी ने बताया कि नदी हर साल नुकसान पहुंचाती है, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. उनकी गौशालाएं भी बहने की कगार पर है. अब उन्हें डर सता रहा है कि अगर नदी में पानी भरता है तो उनकी मवेशियां भी बह जाएगी, कहीं रहने वाला मकान भी न बह जाए. मामले को लेकर अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुरक्षा का इंतजाम नहीं किए गए. अब कब नदी घर को भी बहा ले जाए, कुछ पता नहीं है.

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एक छोटे बच्चे राहुल के चेहरे पर भी नदी का खौफ साफ दिखाई दे रहा था. उसका कहना है कि सामने बहने वाली नदी बारिश के समय भर जाती है और खेतों को भी बहा देती है. ऐसे में उन्हें बहुत डर लगा रहता है. वहीं, स्थानीय निवासी विनोद का कहना है कि बरसात में नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है. रात को भी वो ठीक से सो नहीं पाते हैं, बारिश के समय तो पूरी रात जागना पड़ता है. नदी घर के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी है, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है.

वहीं, राजेंद्र डोबरियाल ने कहा कि यह गांव लिसाड़ी और ग्राम सभा उमत का गांव है. जहां पर हर साल भूमि कटाव होता है, नदी घर के समीप पहुंच गई है, ना जाने कब बड़ा हादसा हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. वो साल 2013, 2015 और 17 में जिलाधिकारी से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

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