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उत्तराखंडः कालागढ़ रिजर्व में तेजी से बढ़ रही है बाघों की संख्या, सीमित क्षेत्रफल बना मुसीबत

6 रेंजों से बना कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के प्लेन रेंज में बढ़ते टाइगरों की संख्या और सीमित क्षेत्रफल भविष्य में वन विभाग के लिए बन रहा है मुसीबत का सबब.

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Published : Aug 22, 2019, 1:31 PM IST

कोटद्वारः कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग बाघों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. क्योंकि कार्बेट नेशनल पार्क के अधिकांश टाइगर कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के प्लेन रेंज में निवास करते हैं. ऐसे में सीमित स्थान होने के चलते यहां मानव और वन्यजीव संघर्ष की संभावना अधिक रहती है. वहीं, वनकर्मी भी इन घटनाओं को रोकने के लिए पुराने ही हथियारों पर निर्भर है, जो चिंतनीय विषय है. बीते दिनों एक बीट वॉचर को टाइगर ने अपना निवाला बना दिया था.

बाघों की बढ़ती संख्या वन विभाग के लिए बना परेशानी का सबब.

बता दें कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व के अंतर्गत अदनाला रेंज, मैदानवन, मंदाल रेंज, पाखरो रेंज और मोरघाटी रेंज आती है. इन सभी प्लेन रेंजका क्षेत्रफल 11,545.30 हेक्टेयर है जबकि, एक टाइगर को 10 से 15 हेक्टेयर का एरिया अपने विचरण के लिए चाहिए होता है. ऐसे में यहां लगातार वन विभाग के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है. वर्तमान में भी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वनकर्मी पुराने हथियारों के सहारे ही टाइगरों की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग कर रहे हैं.

पेट्रोलिंग के दौरान वन कर्मियों की सुरक्षा के लिए भी वन विभाग द्वारा कोई ठोस इंतजाम नहीं किए हुए हैं. गत माह 15 जुलाई को भी प्लेन रेंज में पेट्रोलिंग के दौरान एक दैनिक वनकर्मी को टाइगर ने अपना निवाला बना दिया था. जबकि, कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग की यह रेंज सबसे संवेदनशील रेंज है. जैसे-जैसे टाइगरों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है वैसे ही मानव और वन्यजीव संघर्ष बढ़ने की संभावना भी लगातार बढ़ती जा रही है.

रेंजर ने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कंट्रोल करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. प्लेन रेंज में लगातार पेट्रोलिंग चल रही है. पेट्रोलिंग के लिए मेन पावर बढ़ा दी गई है. एक फॉरेस्ट गार्ड के साथ 5 फायर वॉचर बढ़ा दिए गए हैं. सभी को हथियारों से लैस कर पेट्रोलिंग के लिए भेजा जा रहा है. बढ़ते टाइगरों की संख्या और उनकी सुरक्षा को देखते हुए पेट्रोलिंग बहुत जरूरी है.

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टाइगर ग्रामीणों पर तो हमला बाद में करेगा लेकिन पहले वह वन विभाग के कर्मचारी जो पेट्रोलिंग कर रहे उन्हीं पर हमला करेगा इससे वन कर्मी भी काफी भयभीत हैं. वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन मंत्री के साथ हमारे उच्च अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें बात हुई है. मानव और वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए हर डिवीजन में एक गौ सदन बनाने का प्रस्ताव पर विचार हुआ है जिससे कि जंगलों के किनारे आवारा घूमने वाले पशुओं को गौ सदन में रखा जाएगा. इस पर वन मंत्री ने आश्वासन भी दिया है कि शीघ्र ही इसके लिए धन की स्वीकृति की जाएगी. उनके चारा पत्ती का खर्चा वन विभाग अपने बजट से उठाएगा.

प्लेन रेंज में टाइगरों की संख्या अधिक है. कार्बेट नेशनल पार्क के अधिकांश टाइगर प्लेन रेंज में निवास करते हैं और ग्रामीणों द्वारा जंगलों में अपने गाय और बछड़ों को छोड़ दिया जाता है. टाइगर इन गाय और बछड़ों का शिकार करने जंगल से गांव के नजदीक आ जाता है और वह जंगली जानवरों का शिकार करना छोड़ देता है. क्योंकि, इन जानवरों को टाइगर आसानी से शिकार बना लेता हैं जिससे कि लगातार मानव और वन्यजीव संघर्ष की बढ़ने की संभावना भी बढ़ती जा रही है.

टाइगर इन जानवरों का शिकार करने के लिए लगातार आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. भविष्य के लिए यह वन विभाग के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है. पेट्रोलिंग के लिए पलैन रेंज में 315 बोर की राइफल और 12 बोर की दोनाली बंदूक मौजूद है.

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