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केंद्रीय मंत्री निशंक के पैतृक गांव में पलायन बना बड़ी समस्या, अब जागी ग्रामीणों की उम्मीदें

केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के गांव पिनानी में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. गांव के लोगों को उम्मीद है कि गांव की तस्वीर अब बदलेगी. साथ ही उन्हें निशंक के केंद्रीय मंत्री बनने पर भारी खुशी है.

निशंक का गांव पिनानी

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Published : Jun 21, 2019, 11:24 PM IST

पौड़ीः केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का गांव शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. मंत्री बनने के बाद ग्रामीण उनसे उम्मीद कर रहे हैं कि खाली होते गांव से पलायन रोका जाय. क्षेत्र में लगातार हो रहे पलायन के चलते गांव वीरान होता जा रहा हैं.

क्षेत्र में रोजगार का कोई साधन भी नहीं है. ग्रामीण निशंक से उम्मीद कर रहे हैं कि पहाड़ों से लगातार खाली हो रहे गांव और खाली हो रहे स्कूल को रोका जाना चाहिए. उनके गांव में शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार का अभाव होने के कारण लोग धीरे- धीरे पलायन करते जा रहे हैं और गांव खंडहर होने लगे हैं.

पौड़ी जनपद ने उत्तराखंड को ही नहीं बल्कि देश को भी बड़ी-बड़ी हस्तियां दी हैं. इस कारण पौड़ी का नाम आज देश विदेशों तक प्रसिद्ध है. वर्तमान में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जोकि पौड़ी के पिनानी गांव के ही रहने वाले हैं.

केंद्रीय मंत्री निशंक का गांव पिनानी विकास की मुख्य धारा से काफी दूर है.

ईटीवी भारत ने रमेश पोखरियाल के गांव पहुंचकर गांव के हालात और उनकी कुछ बचपन की यादें जानने की कोशिश कीं. ग्रामीणों से बात करके पता चला कि रमेश पोखरियाल निशंक एक गरीब परिवार से हैं. जिन्होंने बचपन से ही घर के सारे कामकाज और मेहनत कर अपने जीवन में कामयाबी हासिल की.

केंद्र में मंत्री पद मिलने के बाद से ही ग्रामीणों को उनसे काफी उम्मीदें हैं कि आने वाले समय में उनके क्षेत्र में हो रहे पलायन और अन्य सुविधाओं को लेकर भी वह कोई कदम उठाएंगे. पौड़ी से लगभग 70 किलोमीटर दूर पिनानी गांव में ही रमेश पोखरियाल निशंक ने अपना बचपन गुजारा था.

ग्रामीण बसंती देवी बताती हैं कि वह बचपन से ही निशंक को बहुत अच्छे से जानती हैं. वे बचपन से ही शांत स्वभाव के रहे हैं. घर के सभी काम, साफ सफाई, गोबर उठाना लकड़ी लाना आदि वो खुद करते थे.

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गांव में रहने वाले उनके मित्र शशि नेगी बताते हैं कि बचपन से हाईस्कूल तक वे साथ में ही पढ़ें थे. वह पढ़ाई में अव्वल होने के साथ-साथ काफी मेहनती थे. जिसका परिणाम है कि आज वह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के पद पर विराजमान हैं.

वहीं अब ग्रामीण उनसे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके क्षेत्र के लिए कुछ करें ताकि खाली हो रहे गांव को फिर से आबाद किया जा सके और गांव की एक बार फिर से पहले की तरह रौनक वापस लौट सके.

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