श्रीनगरः उत्तराखंड के पहाड़ी राज्यों से पलायन बदस्तूर जारी है. आलम ये है कि कई गांव खाली हो चुके हैं, जिन्हें भुतहा गांव भी कहा जाने लगा है. पलायन के मामले में पौड़ी पहले पायदान पर है. यह जिला पलायन के लिए बदनाम हो चुका है, लेकिन कुछ युवा ऐसे भी जो रिवर्स पलायन कर रहे हैं. जिनमें पौड़ी के घंडियाल के दो युवा भी शामिल हैं. इन युवाओं ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद अपने गांव लौटकर बंजर भूमि को आबाद कर दिखाया है.
पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग लगातार पलायन कर रहे हैं. युवा वर्ग रोजगार की तलाश में मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिसके चलते पहाड़ लगातार खाली होते जा रहे हैं. खासकर युवा वर्ग अच्छी शिक्षा और रोजगार की तलाश में पहाड़ छोड़ रहे हैं. लेकिन इसके इतर कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो शहरों की चकाचौंध की दुनिया को छोड़, फिर से पहाड़ में बस रहे हैं. ऐसे ही दो युवा परमजय रावत और मनंजय रावत हैं, जो युवाओं के लिए नजीर पेश कर रहे हैं.
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परमजय रावत और मनंजय रावत ने बंजर भूमि को बनाया खेती योग्यःदरअसल, ये दोनों युवक बीते 5 सालों से लगातार अपने गांव में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. दोनों युवकों ने करीब 500 नाली बंजर भूमि को खेती योग्य बनाकर इस पर सोना उगाने का काम किया है. परमजय रावत बताते हैं कि आज पहाड़ों में रोजगार न मिलने पर जिस तरह से लोग लगातार पलायन कर रहे हैं, यह चिंताजनक है. लेकिन इच्छा शक्ति हो तो हर कार्य संभव हो सकता है.