श्रीनगरः एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) उत्तराखंड में 2022-23 शैक्षणिक सत्र से सेल्फ स्पॉन्सर्ड (स्वयं प्रायोजित) एमटेक पाठ्यक्रम शुरू हो जाएगा. इसके तहत गेट (Graduate Aptitude Test in Engineering) में बेहतर स्कोर न कर पाने वाला बीटेक डिग्रीधारी छात्र भी एमटेक (Mtech will do without qualifying gate) कर सकता है. इसके लिए उसे संस्थान की ओर से निर्धारित फीस चुकानी होगी.
एनआईटी उत्तराखंड में फिलहाल स्वयं प्रायोजित एमटेक पाठ्यक्रम के 5 ट्रेडों के लिए 25 सीटें निर्धारित की गई हैं. एनआईटी समेत अन्य तकनीकी शिक्षण संस्थानों में एमटेक में प्रवेश पाने का पारंपरिक तरीका गेट है. लेकिन गेट स्कोर ना कर पाने की वजह से हजारों छात्र इन प्रतिष्ठित संस्थानों से एमटेक नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उन्हें प्राइवेट संस्थानों का रास्ता देखना पड़ता है.
एमटेक में मेरिट के आधार पर एडमिशन मिलेगा. ये भी पढ़ेंः
उत्तराखंड में 17 हजार फीट पर ITBP की वुमन सोल्जर्स ने फहराया तिरंगा, दिखा उत्साह, साहस और जोश एनआईटी उत्तराखंड ने ऐसे छात्रों के लिए स्वयं प्रायोजित एमटेक प्रोगाम शुरू किया है. संस्थान में संचालित हो रहे 5 ट्रेडों (मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस) में 25 सीटें आरक्षित रखी गई हैं. यानि कि हर ट्रेड में 5-5 सीटें कुल 25 सीटें निर्धारित की गई हैं. इस प्रोग्राम में दाखिले के लिए संस्थान की ओर से स्थानीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा ली जाएगी. मेरिट के आधार पर छात्रों को एमटेक में प्रवेश दिया जाएगा.
एनआईटी के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि पारंपरिक और स्वयं प्रायोजित पाठ्यक्रम में सिर्फ स्कॉलरशिप और फीस का अंतर है. गेट के माध्यम से एमटेक करने वाले छात्रों को प्रतिमाह 12 हजार रुपये स्कॉलरशिप मिलती है. इससे उन्हें फीस चुकाने के लिए धनराशि मिल जाती है. जबकि स्वयं प्रायोजित प्रोग्राम वाले छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी. उन्हें प्रति सेमेस्टर लगभग 70 हजार रुपये फीस अपनी जेब से देनी होगी.