श्रीनगरः पालिकाध्यक्ष पूनम तिवारी ने सरकार और जिला प्रशासन पर नगर पालिका को ठप करने के आरोप लगाए हैं. पालिका स्थित कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान पालिकाध्यक्ष पूनम तिवारी ने कहा कि जनवरी महीने से पालिका में ईओ की नियुक्ति नहीं हुई है. जिससे पालिका के सारे काम ठप हो गए हैं.
श्रीनगर नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवारी का कहना है कि ईओ के न होने से कर्मियों की तनख्वाह भी नहीं दी जा रही है. शहर की सफाई व्यवस्था भी चरमरा गई है. विकास कार्य अवरुद्ध हो गए हैं. शहर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतरने के सवाल पर उन्होंने सरकार को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस संबंध में शासन को भी पत्र लिखा है, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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पालिकाध्यक्ष पूनम तिवारी ने कहा कि वे जिलाधिकारी के पास भी इस समस्या को लेकर गईं, लेकिन कोई कार्रवाई इस पर नहीं की गई. उन्होंने कहा कर्मियों की सैलरी न मिलने के कारण उनमें काफी रोष है. सरकार को श्रीनगर नगर पालिका में जल्द ईओ की नियुक्ति करनी चाहिए. जिससे श्रीनगर में व्यवस्थाओं को बनाया जा सके.
श्रीनगर में सफाई व्यवस्था चरमराई. गौर हो कि बीते 3 सितंबर को श्रीनगर में जन आशीर्वाद रैली के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीनगर को नगर निगम का तोहफा दिया था. जहां उन्होंने श्रीनगर नगर पालिका को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी. वैसे नगर पालिका परिषद श्रीनगर के उच्चीकरण का फैसला कैबिनेट में पूर्व में लिया गया था और उसके बाद अधिसूचना भी जारी की गई.
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कांग्रेस सरकार में भी श्रीनगर को नगर निगम बनाए जाने की चर्चा की गई थी, लेकिन उस दौरान कुछ गांव के लोगों ने इसका विरोध किया था, जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था, लेकिन धन सिंह रावत ने इस मामले पर सरकार से आखिरकार श्रीनगर को नगर निगम बनवाने में कामयाबी हासिल की. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, नगर निगम श्रीनगर की आबादी 37,911 है. श्रीनगर और 21 गांवों को मिलाकर इसे नगर निगम बनाया गया.
बता दें कि सरकार ने बीते 3 जनवरी को श्रीनगर नगर पालिका को भंग कर दिया था. जिलाधिकारी को उसका प्रशासक नियुक्त कर दिया था. जिसके बाद सरकार के पालिका को भंग करने के आदेश को चुनौती दी गई थी. जिसके बाद 14जनवरी को नैनीताल हाईकोर्ट ने श्रीनगर नगर पालिका को भंग करने के फैसले पर रोक लगा दी. साथ ही राज्य सरकार से मामले में चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा.