पौड़ी:उत्तराखंड के अनेकजनपदों के भेड़-बकरी पालक इन दिनों गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. ये लोग पीढ़ी दर पीढ़ी से भेड़-बकरी पालन का काम कर रहे हैं. वे समय-समय पर अपना जनपद छोड़कर विभिन्न जनपदों में भेड़ बकरियों को लेकर पहुंचते हैं. वहीं, इन दिनों पौड़ी पहुंचे भेड़ बकरी पालकों ने बताया कि लगातार बदल रहे समय के साथ-साथ उन्हें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आज भी भेड़-बकरी पालक खानाबदोश जीवन जीने को मजबूर हैं.
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता. पिछले लंबे समय से उत्तरकाशी के भेड़ पालक सर्दियों के समय मैदानी क्षेत्रों का रुख करते हैं और सर्दी खत्म होने के बाद अपने क्षेत्रों की ओर लौट आते हैं. इनको एक-स्थान से दूसरे स्थान की दूरी तय करने में लगभग 4 महीने का समय लगता है.