पौड़ी: कारगिल विजय दिवस को आज 20 साल पूरे हो गए हैं. इसलिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. वहीं उत्तराखंड को वीरों की धरा भी कहा जाता है, जहां के वीरों ने अपने लहू से देश की आन, बान और शान की रक्षा की है. वहीं टंगरोली गांव के रहने वाले शहीद धर्म सिंह कारगिल युद्ध के दौरान अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे.
कारगिल युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए शहीद धर्म सिंह के बड़े भाई से ईटीवी भारत की खास-बातचीत. इनके अलावा जिले के ही रहने वाले विपिन रावत, अनिल धस्माना और अजीत डोभाल भी है. जिन वीर जवानों ने देश की रक्षा के लिएअपनों की प्राणों की आहुति दी है. वहीं पौड़ी की टंगरोली गांव के रहने वाले शहीद धर्म सिंह कारगिल युद्ध के दौरान देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.आज पौड़ी ही नहीं बल्कि पूरा देश उनकी वीरता उनकी शहादत को नमन करता है.
पौड़ी से महज 30 किलोमीटर दूर कल्जीखाल ब्लॉक के टंगरोली गांव के रहने वाले शहीद धर्म सिंह के बड़े भाई रमेश ने ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत की. बड़े भाई रमेश ने बताया कि वह सेना में थे और पूरा परिवार ही देश की सेवा से जुड़ा रहा. पिता पुलिस में थे और बाकी 2 भाई सेना में होने के चलते छोटे भाई धर्म सिंह पर देश सेवा का प्रभाव पड़ा. जिसके चलते धर्म सिंह भी सेना में भर्ती हो गए. कारगिल युद्ध के दौरान पहली बटालियन में दुश्मनों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हुए.
उन्होंने बताया कि छोटे भाई की शहीद होने की सूचना उन्हें सुबह ही मिल गई थी, लेकिन बहुत हिम्मत जुटाने के बाद भी इस बात को बयां नहीं कर पाए. पूरा दिन गुजरने के बाद शाम होते ही इसकी जानकारी उन्होंने परिजनों को बताई. खबर सुनते ही घर में मातम छा गया. छोटे बेटे के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरे परिवार के आंसू छलक गए. देश के लिए शहीद होने पर गर्व था तो दूसरी ओर उसके जाने का दु:ख सभी को सता रहा था. टंगरोली गांव के स्कूल का नाम बदलकर शहीद धर्म सिंह इंटर कालेज रख दिया गया. साथ ही वहां से जाने वाली सड़क को भी शहीद के नाम से जानी जाती है. उन्होंने बताया कि शहीद के नाम से गांव में एक स्मारक बनाया गया है. जहां की रोजाना उनकी पूजा की जाती है.
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उन्होंने कहा कि वह उत्तराखण्ड सरकार से गुजारिश करते हैं कि गांव के लिए शहीद धर्म सिंह के नाम पर एक पंपिंग योजना का निर्माण कराया जाएं. जिससे कि पूरे गांव को पानी की आपूर्ति हो सकें. जिसके बनने से गर्मीयों के मौसम में होने वाली समस्या से गांव वालों को निजात मिल सकें. शहीद धर्म सिंह के दोस्त धर्मेंद्र नेगी ने बताया कि दोनों ही बचपन से मित्र थे. बचपन से ही साथ में स्कूल जाया करते थे, दोनों एक साथ ही सेना में भर्ती होने के बाद ट्रेनिंग की. जिस दिन धर्म सिंह के शहीद होने की सूचना उन्हें मिली तो उन्हें बहुत ही दु:ख पहुंचा. लेकिन उन्हे गर्व है कि उनका दोस्त देश के लिए शहीद हुआ और आज पूरा गांव उनकी वीरता पर खुद को गौरवान्वित महसूस करता है.