श्रीनगर: प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ गंगा अभियान के तहत बनी लगभग 12 करोड़ रुपये वाली सीवरेज योजना केवल बजट खर्च करने तक ही सीमित दिखाई दे रही है. गौरतलब है कि देवप्रयाग में 18 मार्च 2016 में बहा बाजार देवप्रयाग में सॉयल बायो टेक्नोलॉजी ( ग्रीन टेक्नोलॉजी) पर प्रदेश का पहला एसटीपी बनाया गया, जिसके लिए देवप्रयाग तीर्थ में मई 2010 में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने हेतु करीब 12 करोड़ की सीवरेज योजना की शुरुआत हुई थी.
योजना में साढ़े चार करोड़ की लागत से तीन एसटीपी और लगभग साढ़े सात करोड़ सीवरेज नेटवर्क का था. ये योजना शुरू से ही विवादों के घेरे में रही. 2013 की केदारनाथ आपदा में नगर भर के लिए रामकुण्ड में बने 1.4 एमएलडी तक जानेवाली सीवरेज लाइन का बड़ा हिस्सा बह गया. उसके बाद यहां भागीरथी से सटकर 150 व 75 एमएलडी क्षमता के दो एसटीपी बनाकर उनसे नगर की सीवरेज लाइन जोड़ने का काम किया शुरू हुआ. जबकि इससे पहले नगर के सारे सीवरेज का रामकुंड में बनाये गये 1.4 एमएलडी तक जाना था.
बजट तक सिमटी सिवरेज योजना नगर के सबसे अधिक आबादी के मेन मार्केट, तहसील, मंदिर मोहल्ला, संगम मार्केट को महज 150 एमएलडी क्षमता वाले STP से जोड़ा तो गया मगर, कैपिसिटी से अधिक सीवर का पानी आने से सीवरेज ओवर फ्लो होकर सीधे भागीरथी में जाता रहता है.
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पिछले महीने इस एसटीपी की मोटर खराब होने सीवरेज का सीधा पानी बिना फिल्टर हुये नदी पर जाता रहा. ये बात वहां काम कर रहे कर्मचारियों ने एसडीएम कीर्तिनगर के सामने स्वीकार भी किया. बरसात के दौरान नगर की स्थिति और भी बदतर हो जाती है, जब बीच बाजार से लेकर भागीरथी तक बने सीवरेज के चेम्बरों से गन्दा पानी सीधे नदी में गिरता देखा जा सकता है. पूर्व जल संसाधन और गंगा पुनर्उद्धार मंत्री उमा भारती ने भी नदी किनारे एसटीपी निर्माण नहीं करने के निर्देश दिये थे, परंतु उनके निर्देशो के बाबजूद यहां एसटीपी का निर्माण किया गया.
सामाजिक कार्यकर्ता और अंतरराष्ट्रीय हिन्दू हेल्प लाइन प्रदेश संयोजक के अशोक टोडरिया, गंगा समति के अध्यक्ष माधव मेवाड़ गुरु, बद्रीश युवा पुरोहित संगठन के प्रवक्ता ऋतिक, विनोद बडोला का कहना है कि भगीरथी पर बनने एसटीपी को स्थान्तरित किया जाए. उनका कहना ही कि संगम स्थल से 100 मीटर के पास बनने इस एसटीपी से नदी में सीधे गिर रहे पानी को देखकर देश विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों पर भी बुरा असर पड़ रहा है. वहीं, मामले में देवप्रयाग के तहसीलदार सबल सिंह का कहना है की उनके सामने तो इस तरह की कोई समस्या नहीं है, लेकिन वह इसकी जांच करेंगे.