श्रीनगर: गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में कोर्ट गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विवि की कार्य परिषद ने फिलहाल इसके लिए छह सदस्यों के नामों का अनुमोदन कर दिया है. केंद्रीय बनने के बाद विवि की यह द्वितीय कोर्ट होगी. पहली कोर्ट का गठन केंद्रीय विवि के अस्तित्व में आने के बाद केंद्र सरकार की ओर से किया गया था.
क्या होते हैं विवि में कोर्ट: केंद्रीय विवि एक्ट के अनुसार, कोर्ट का गठन किया जाता है. इसमें विजिटर्स (राष्ट्रपति) नॉमिनी कुलाधिपति, कुलपति समेत विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां और शिक्षक गण सदस्य होते हैं. कोर्ट का काम विवि के सुधार एवं विकास के लिए सलाह देना और बोर्ड की नीतियों और कार्यक्रम की समीक्षा करना है. कोर्ट विजिटर्स को विवि के संबंध में सलाह भी दे सकती है.
गढ़वाल विवि की पहली कोर्ट का कार्यकाल समाप्त हो चुका है: गढ़वाल विवि को 2009 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था. केंद्रीय विवि एक्ट के अनुसार, तब कोर्ट सहित विभिन्न परिषद और समितियां केंद्र सरकार की ओर से गठित हुई थी. नियमावली के तहत बाद में इनका गठन विवि के स्तर से ही किया जाता है. विवि की प्रथम कोर्ट का कार्यकाल समाप्त हो गया था. इसे देखते हुए द्वितीय कोर्ट के गठन की कार्रवाई शुरू की गई है.
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ये होंगे विवि कोर्ट नॉमिनी: कार्यवाहक कुलसचिव प्रोफेसर एनएस पंवार ने बताया कि कुलाधिपति नॉमिनी के लिए दून लाइब्रेरी एवं रिसर्च सेंटर देहरादून के निदेशक डॉ. भूपेंद्र कुमार जोशी, कुलपति नॉमिनी के लिए केंद्रीय विवि सिक्किम के कुलपति प्रो. अविनाश खरे, केंद्रीय विवि पंजाब के कुलपति प्रो. आरपी तिवाड़ी और रिटायर्ड आईपीएस आर राजगोपालन को सदस्य बनाएंगे.