कोटद्वार:विधानसभा अध्यक्ष और कोटद्वार विधायक ऋतु खंडूड़ी (Speaker Ritu Khanduri ) ने पुणे में आयोजित भारतीय छात्र संसद (Indian Students Parliament) में प्रतिभाग किया. इस मौके पर विस अध्यक्ष ने कहा कि भारत के संविधान-निर्माताओं ने समान नागरिक संहिता का वचन दिया था, भारतवासी को इसका पालन करना ही चाहिए. समान नागरिक संहिता महिलाओंं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगी.
बता दें कि पुणे में एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT World Peace University) द्वारा आयोजित 3 दिवसीय भारतीय छात्र संसद के 12वें संस्करण के समापन दिवस पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सम्मेलन में प्रतिभाग किया. इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) विषय पर अपने विचार रखे.
पढ़ें-PM नरेंद्र मोदी ने MP के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को विशेष बाड़े में छोड़ा
15 से 17 सितंबर तक अयोजित भारतीय छात्र संसद के 12वें संस्करण में देशभर से विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज युवा समेत 10 हजार से अधिक छात्रों ने भाग लिया. शिक्षित युवाओं को राजनीतिक में आगे लाने के उद्देश्य से आयोजित इस संसद में सभी राजनीतिक दल, विचारधाराओं के लोगों ने शामिल होकर विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा की. 3 दिवसीय भारतीय छात्र संसद में कई केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सांसद, अलग-अलग राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राजनीतिक, सामाजिक, मीडिया, अभिनय, उद्योग, कानून, आध्यात्मिक व खेल क्षेत्र के अनेक दिग्गज युवा शामिल हुए. इस छात्र संसद में भाषण स्वतंत्रता, वंशवाद, भारतीय मीडिया, समान नागरिकता संहिता जैसे विषयों पर चर्चा हुई.
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत देश में राजनीति के क्षेत्र में बहुत से युवा आगे आ रहे हैं और उन युवाओं को राजनीति में आने का भारतीय छात्र संसद के माध्यम से बड़ा मंच मिलता है, ऐसे में युवा अपने सपने को साकार भी कर सकते हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने देश के सबसे महत्वपूर्ण विषय समान नागरिक संहिता पर अपने वक्तव्य रखते हुए कहा कि इसका अर्थ भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो.
पढ़ें-केदारघाटी की पवित्रता पर अवैध शराब और मांस का दाग, गौरीकुंड में आस्था से खिलवाड़
उन्होंने कहा कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है संविधान बनाते समय ही इसका जिक्र कानून में कर दिया गया था. संविधान में समान नागरिक संहिता की चर्चा अनुच्छेद 44 में की गई है. राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि 'राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा'. उन्होंने कहा कि हमारे देश की व्यापक विविधता के कारण समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन एक बेहद कठिन कार्य तो है. लेकिन देश में लागू करने की दिशा में सभी एकजुट होकर इसमें सहयोग करें तो देश की भारी विविधता को एक सूत्र में पिरो कर एक नियम में बांधना मुश्किल नहीं होगा.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सीएए, राम मंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं. अब बारी समान नागरिक संहिता की है. एक देश में एक कानून सबके लिए हो, इसकी जरूरत है. अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून की जरूरत नहीं है. भारत की नई पीढ़ी बदल चुकी है, उसे धर्म व जाति के बंधन से मुक्त कर समान कानून के दायरे में लाने की जरूरत है.
ऐसे में समान नागरिक संहिता महिलाओंं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगी. उत्तराखंड राज्य में मुख्यमंत्री द्वारा समान नागरिक संहिता के परीक्षण और क्रियान्वयन के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. साथ ही समिति द्वारा तेजी से कार्य किया जा रहा है. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून के लिए जनता के सुझावों को लिया जा रहा है.