श्रीनगर:भारत में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक देने वाली है. ऐसे में राज्य सरकारों को केंद्र ने कोरोना गाइडलाइन को लेकर सख्त निर्देश दिये हैं. इनदिनों प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना का कार्य चल रहा है. भारत के लिए यह परियोजना सामरिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है. वहीं, कोरोना संक्रमण के कारण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना का कार्य अपने तय निर्माण समय से 50 प्रतिशत आगे खिसक गया है. हालांकि, इस रेल परियोजना का कार्य पूर्ण होने के बाद राज्य में पर्यटन गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलेगा.
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना का कार्य कोरोना संक्रमण के चलते काफी प्रभावित हुआ है. कोरोना काल में ही संक्रमण के चलते आंध्रप्रदेश के रहने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जो परियोजना पैकेज आठ रुद्रप्रयाग गौचर में कार्यरत था. वहीं, 140 से अधिक व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुये थे. जिससे कहीं न कहीं परियोजना से जुड़े लोगों के मन संक्रमित होने का भय था और मानसिक दबाव और असुरक्षा के भाव के कारण वह काम नहीं कर पा रहे थे. इस वजह से भी रेल परियोजना का कार्य धीमा हो गया.
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रेल परियोजना के सीनियर डीजीएम पीपी बडोगा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि कोरोना संक्रमण के शुरुवाती दिनों में कार्य काफी प्रभावित हुआ था और इसकी रफ्तार भी धीमी हो गई. आखिरकार संक्रमण काल में केंद्र सरकार के आदेश पर लॉकडाउन में परियोजना का कार्य बंद भी करना पड़ा. हालांकि, अनलॉक की प्रक्रिया और कोरोना गाइडलाइन में मिली छूट के बाद परियोजना कार्य दोबारा शुरू हो गया.
डीजीएम बडोगा ने बताया कि परियोजना में बड़ी तादाद में लोग काम कर रहे हैं. कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना बड़ी चुनौती थी. वहीं, कोरोना संक्रमित होने पर उनकी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग करना और संक्रमितों को आइसोलेट करना भी मुश्किल था. हालांकि, परियोजना में संक्रमित हुए लोगों को आइसोलेट करने की व्यवस्था अलग से की गई थी.
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उन्होंने आगे कहा कि परियोजना साइट पर एंबुलेंस भी रखी गई थी ताकी जरुरत पड़ने पर संक्रमितों को समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके. वहीं, अभीतक परियोजना से जुड़े 140 से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हुए थे और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जिस वजह से परियोजना निर्माण का कार्य अपने तय समय से 50 प्रतिशत आगे बढ़ गया है.