श्रीनगरः भारतीय धर्म ग्रंथों में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है. कहा जाता है कि गाय में एक करोड़ देवी-देवता भी निवास करते हैं. इसके साथ-साथ गाय पालने वाले कृषक दूध बेचकर भी अपनी आजीविका चलाते हैं. हाल ही में युकास्ट (उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान) और बायोटेक्नोलॉजी रुड़की द्वारा पहाड़ी गायों पर शोध किया गया. शोध के तहत पाया गया कि पहाड़ की गाय का दूध a2 टाइप होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है. लेकिन पहाड़ी गाय (बदरी गाय) के दूध कम देने के कारण अब पहाड़ के लोग बदरी गाय के बजाय दूसरी नस्ल की गाय को पालना शुरू कर रहे हैं.
दरअसल, गाय के दूध के पोषक तत्व को दो भाग a1 और a2 में रखा गया है. जिस दूध में a1 क्वालिटी होती है, इससे बीमार होने का खतरा पैदा हो जाता है. वैज्ञानिकों की माने तो a1 टाइप का दूध पीने से किडनी, लीवर की बीमारियों के खतरे बढ़ जाते हैं. लेकिन पहाड़ की गाय में पाए जाने वाले पोषक तत्व a2 टाइप के होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद ही लाभकारी होते हैं. अब शोध के आधार पर वैज्ञानिक लोगों को पहाड़ में पाई जाने वाली गायों का पालन-पोषण करने की सलाह दे रहे हैं, जिससे उनकी अच्छी खासी आय हो सके.
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युकास्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपने मिल्क प्रोडक्ट में मेंशन करती है कि उनके दूध में कौन सा पोषक तत्व है. अगर उत्तराखंड के लोग भी अपने दूध को बेचते समय दूध की क्वालिटी का जिक्र करें तो लोगों को अच्छा-खासा मुनाफा हो सकता है. इसके लिए सरकार भी अपनी तरफ से योजनाओं को चला रही है.