पौड़ी: कोटद्वार मालन नदी पर बने पुल के ढह जाने को बाद अभी जिले में एक दर्जन ऐसे पुल हैं, जिनकी तत्काल मरम्मत की जानी आवश्यक है. समय रहते अगर इन पुलों की मरम्मत नहीं हुई तो कभी भी कोई बड़ा घटना घट सकती है. ये आधा दर्जन पुल साढ़े तीन सौ से लेकर 5 मीटर तक लंबे हैं. विभाग ने इन पुलों की मरम्मत के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी है.
हैरानी की बात है कि इन सभी पुलों को नुकसान तकरीबन एक ही तरीके से हुआ है. यानी अत्याधिक वर्षा व खनन होने से सुरक्षा के लिए बनी कर्टेन वॉल में स्कवरिंग के होने से इन पुलों को क्षति पहुंची है. इनमें से अधिकांश पुल दुगड्डा ब्लॉक के अंतर्गत हैं.मालन नदी पर बने पुल को ढह जाने के बाद पुलों की विश्वसनीयता पर लोगों ने प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं. 2010 में बने पुल महज 13 सालों में ही ढह गए. इसके बाद भी कोटद्वार में ही करीब आधा दर्जन पुल ऐसे हैं, जिन्हें जल्द से जल्द मरस्मत की जरूरत है.
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दुगड्डा में सर्वाधिक क्षतिग्रस्त पुल:प्रदेश में सर्वाधिक 15 विकास खंडों वाले पौड़ी जिले के 4 ब्लॉकों को 11 पुलों को बरसात से नुकसान पहुंचा है. जिन्हें जल्द ही मरम्मत की जरूरत है. इसमें सर्वाधिक 7 पुल अकेले दुगड्डा ब्लॉक में हैं. इस ब्लॉक में हाल ही में कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र के क्षतिग्रस्त हुआ मालन नदी पर बना पुल भी है, जबकि 2 जयहरीखाल 1-1 पोखड़ा और बीरोंखाल ब्लॉक में शामिल हैं. सबसे लंबा पुल कोटद्वार क्षेत्र में सुखरो नदी पर बना सुखरो पुल है, जो 385 मीटर लंबा है.लोक निर्माण विभाग की मानें तो अत्याधिक खनन और बरसात होने के चलते पुल को क्षति पहुंची है. इस पुल को निर्माण भी मालन पुल के साथ ही यानी 2010 में हुआ था.
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लोक निर्माण विभाग की मानें तो कोटद्वार क्षेत्र में सुखरो नदी पर बना 385 मीटर लंबा सुखरो पुल, कौड़िया मोटाढांग मार्ग पर सुखरो नदी पर ही बना बीईएल पुल, खोह नदी पर गाड़ी घाट पर बना पुल, खोह नदी पर ही गूलर पुल तथा सिद्धबली पुल के साथ ही ग्रास्टनगंज पुल को मरम्मर की जरूरत है. जयहरीखाल ब्लॉक में सतपुली-दुधारखाल-धारकोट मोटर मार्ग पर 6 मीटर लंबे पुल समेत खैरासैंण - डौर- नगधार- बयाली मोटर मार्ग पर बना 24 मीटर लंबा पुल शामिल है. बीरोंखाल ब्लॉक में पंचपुरी की समीप 30 मीटर पैदल पुल के साथ ही पोखड़ा ब्लाक में बिंजोरापानी - कुंजखाल - कोलाखाल मार्ग पर स्पान पुल को मरम्मत की दरकार है.
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9 सालों में बने 8 पुलों को है मरम्मत की जरूरत:पौड़ी जिले में 8 पुल ऐसे हैं जो कि 2010 से लेकर 2019 तक महज 9 सालों में ही क्षतिग्रस्त हो गए. इनमें से कोटद्वार में 2010 में बने मालन, सुखरो और गाड़ीघाट पुल शामिल हैं. 2014 बीईएल सेतु, 2015 में गूलर सेतु तथा 4 साल पहले यानी 2019 में बने खोह नदी पर बने ग्रास्टनगंज सेतु शामिल हैं.
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21.62 करोड़ की है दरकार:लोक निर्माण विभाग की मानें तो इन एक दर्जन पुलों की मरम्मत आदि कार्यों के लिए 21 करोड़ 62 लाख 68 हजार की जरूरत है. महकमे ने इन पुलों की मरम्मत आदि कार्यों के लिए शासन को एस्टिमेट बनाकर भेजा है. जल्द ही इन पुलों की मरम्मत और जरूरी इंतेजाम नहीं किए गए तो मालन नदी जैसा हादसा हो सकता है.