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कोटद्वार में प्रगतिशील किसान ने पहली बार उगाया काला धान, सफल हुआ प्रयोग

उत्तराखंड के हल्द्वानी में काले धान की खेती की जा रही है. वहीं, कोटद्वार में पहली बार काले धान की खेती का सफल प्रयोग हुआ है. प्रगतिशील किसान कांता सेनावल ने अपने एक बीघा जमीन पर काले धान (Black Rice) की जैविक फसल तैयार की है.

Progressive farmer grew black rice for the first time in Kotdwar
Progressive farmer grew black rice for the first time in Kotdwar

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Published : Nov 15, 2022, 3:36 PM IST

कोटद्वार:किसानों की आय दोगुनी करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना सार्थक होने जा रहा है. कोटद्वार सिगड्डी गदरीयाखाल निवासी प्रगतिशील किसान कांता सेनवाल ने जैविक तरीके से पहली बार काल धान (Black Rice) की फसल उगाई है. वहीं, पिछले कई सालों से कांता सेनवाल खेती किसानी कर रहे हैं, लेकिन पारंपरिक खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा था. ऐसे में उन्होंने पहली बार काला धान को लेकर ये प्रयोग किया जो अब सफल साबित हुआ है. बाजार में इस काले धान की अच्छी खासी डिमांड है.

प्रगतिशील किसान कांता सेनवाल ने बताया कि काल चावल सबसे महंगा होने के साथ ही एक व्यक्ति के लिए संतुलित आहार भी है. इसमें प्रोटीन और आयरन की मात्रा अधिक होती है. इस साल उनका काले धान की बुवाई का प्रयोग सफल हुआ है. अभी एक बीघा में ही उन्होंने काले धान की बुवाई की थी. ऐसे में वह अगले साल से अपनी बुवाई में इजाफा करेंगे. वहीं, किसान की पत्नी मीना देवी ने बताया कि बाजार में काला चावल 400 रुपये किलो में बिकता है.

कोटद्वार में प्रगतिशील किसान ने पहली बार उगाया काला धान.

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काले चावल के फायदे: काला चावल एक ऐसा अनाज, जिसे आज भी ज्यादा लोग नहीं जानते हैं. देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में पाया जाने वाला काला चावल पोषक तत्वों का खजाना है. इसे मुख्यतौर पर मणिपुर में उगाया जाता है. काले चावल के बारे में बेशक ज्यादा लोगों को जानकारी न हो, लेकिन इसे अपनी डेली डाइट में शामिल करने से शरीर को कई बीमारियों से दूर रखा जा सकता है.

काले चावल के पोषक तत्वों की बात करें, तो इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर एजेंट के गुण पाए जाते हैं. इसके साथ ही काला चावल प्रोटीन, आयरन और फाइबर का खजाना माना जाता है, ये सभी चीजें शरीर को बीमारियों से दूर हेल्दी रखने में मददगार होती है. वहीं, अन्य चावलों की तुलना में काला चावल प्रोटीन का बेस्ट सोर्स माना जाता है. 100 ग्राम काले चावल में 9 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि ब्राउन चावल के लिए 7 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. जो लोग वजन घटाने की चाह रखते हैं, उन्हें काला चावल खाने की सलाह दी जाती है.

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वहीं, कृषि एवं भूमि संरक्षण विभाग कोटद्वार के अधिकारी अरविंद भट्ट ने बताया कि किसान द्वारा क्षेत्र में काले धान उगा सराहनीय कार्य किया जा रहा है. कोटद्वार क्षेत्र में काला धान का प्रयोग सफल होने पर क्षेत्र के अन्य किसानों को कृषि विभाग द्वारा बीज उपलब्ध करा कर काला धान उगाने के लिए प्रेरित करेंगे.

उत्तराखंड के हल्द्वानी में काले धान की खेती होती है. वहीं, कोटद्वार में पहली बार काले धान की खेती का सफल प्रयोग किया है. काले धान की चार प्रजाति के बीजों की भारत में बुवाई की जा रही है. काला धान की उत्पत्ति जापान में हुई और जापान में ही काला धान अत्याधिक मात्रा में उगाया जाता है.

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