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कोटद्वार: नोटिस बाद गरमाया स्कूलों का मामला, लोगों ने राजनीतिक दबाव का लगाया आरोप - Deputy Education Officer Dugadda

जिले में बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को नोटिस जारी करने का मामला गरमा गया है. जारी किये गये 18 स्कूलों के नामों में मुख्यमंत्री के सलाहकार के स्कूल का नाम व कोटद्वार में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता के स्कूल के नाम आने के बाद एक नया मोड़ आ गया है.

उप शिक्षा अधिकारी के नोटिस के बाद गरमाया स्कूलों का मामला.

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Published : Aug 11, 2019, 5:42 PM IST

Updated : Aug 11, 2019, 6:32 PM IST

कोटद्वार :टिहरी जिले में हुए स्कूल वैन हादसे के बाद पौड़ी जिला प्रशासन हरकत में आया. जिसके बाद विकासखंड दुगड्डा के उप शिक्षा अधिकारी ने विकासखंड के अंतर्गत बिना मान्यता के संचालित हो रहे 18 स्कूलों को नोटिस जारी किया था. जिसमें इन स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गये थे. अब इस नोटिस में मुख्यमंत्री के सलाहकार के स्कूल का नाम व कोटद्वार में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता के स्कूल के नाम आने के बाद एक नया मोड़ आ गया है. जिसके बाद आनन-फानन में छुट्टी के दिन ही उप शिक्षा अधिकारी दुगड्डा को शुद्धि पत्र जारी करना पड़ा.

नोटिस बाद गरमाया स्कूलों का मामला.

बता दें कि 9 अगस्त की देर शाम को दुगड्डा के उप शिक्षा अधिकारी ने विकास खंड में बिना मान्यता प्राप्त संचालित हो रहे स्कूलों का रिकॉर्ड खंगालते हुए विकासखंड क्षेत्र में 18 स्कूलों को नोटिस जारी किया था. जिसमें इन मान्यता विहीन स्कूलों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गये थे. उप शिक्षा अधिकारी ने इस नोटिस की सूची मुख्य शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को भी भेजी थी. वहीं, अब इस सूची में मुख्यमंत्री के सलाहकार के स्कूल का नाम आने से मामले में नया मोड़ आ गया है. राजनीतिक दबाव में दुगड्डा ब्लॉक के उप शिक्षा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से छुट्टी के दिन ही अपने द्वारा जारी किए हुए नोटिस के बदले शुद्धि पत्र जारी करना पड़ा. शिक्षा के क्षेत्र में ये पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी कई बार सरकार के आदेशों में फेरबदल होता नजर आया है.

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इस मामले पर बोलते हुए उत्तराखंड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा है कि उप शिक्षा अधिकारी ने विकासखंड दुगड्डा में स्कूलों को नोटिस भेजा है जो कि एक विधिक प्रक्रिया है, उसका जवाब दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नोटिस भेजे जाने के बाद मामले में जो राजनीति हो रही है सभी लोग जानते हैं कि वो क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सलाहकार के स्कूल को भी नोटिस जारी कर दिया गया है, इसलिए ये मामला गरमा गया है. मुजीब नैथानी ने कहा कि ये बड़े दुख की बात है कि प्रभावशाली लोग ही नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा शासनकाल में इस तरह की घटनाएं ज्यादा बढ़ रही हैं.

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वहीं, बार संघ के अध्यक्ष किशन पंवार का कहना है कि इस प्रकरण की पूरी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस फैसले पर स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों का भविष्य टिका है. उन्होंने कहा कि मामले में शुद्धि पत्र जारी राजनीतिक दबाव के चलते भेजा गया या नहीं इसकी पारदर्शिता से जांच होनी चाहिए. साथ ही उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

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दुगड्डा ब्लॉक के उप शिक्षा अधिकारी अभिषेक शुक्ला से जब इस मामले में फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने 18 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया था. उन्होंने कहा जिन स्कूलों की मान्यता का रिकॉर्ड नहीं था उनके रिकॉर्ड मांगें गये थे. देर शाम तक रिकॉर्ड नहीं आने के बाद नोटिस जारी कर दिया गया. जिसके तुरंत बाद 6 स्कूलों के मान्यता की कॉपी कार्यालय में आ गई थी. जिसमें से दो पर आपत्ति लगाकर वापस भेज दी गई थी. उन्होंने कहा कि अभी भी 10 स्कूल ऐसे हैं जिनकी न तो मान्यता पत्रावली उप शिक्षा अधिकारी कार्यालय में मौजूद हैं और न ही उनकी मान्यता की रिकॉर्ड कार्यालय में है. ऐसे में इन स्कूलों को खिलाफ कार्रवाई होना निश्चित है.

Last Updated : Aug 11, 2019, 6:32 PM IST

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